Munshi Premchand Death Anniversary 2023
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गबन, ईदगाह, बूढ़ी काकी जैसी मुंशी प्रेमचंद की अमूल्य रचनाएं सर्वदा साहित्य जगत को सुवासित करती रहेंगी: सीएम

Munshi Premchand Death Anniversary 2023: युग प्रवर्तक एवं सुप्रसिद्ध लेखक व कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की आज पुण्यतिथि है, ऐसे में मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है।
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हाइलाइट्स :

  • आज सुप्रसिद्ध लेखक व कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि

  • मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है

  • इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया है

Munshi Premchand Death Anniversary 2023: हिन्दी के महान उपन्यासकार, युग प्रवर्तक एवं सुप्रसिद्ध लेखक व कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की आज पुण्यतिथि है। ऐसे में मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने ट्वीट कर नमन किया है।

मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर नमन: CM

संवेदनशील रचनाकार मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्वीट कर लिखा- हिंदी साहित्य के 'उपन्यास सम्राट' मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन। गोदान, गबन, निर्मला, ईदगाह, बूढ़ी काकी जैसी आपकी अमूल्य रचनाएं सदैव साहित्य जगत को सुवासित करती रहेंगी।

हिन्दी के महान साहित्यकार और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।

गृहमंत्री

मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण नमन:

वीडी शर्मा ने कहा कि, अपनी लेखनी से गरीबों और शोषितों की पीड़ा को जीवंत कर समाज से साक्षात्कार कराने वाले उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण नमन।आपकी रचनाएं सामाजिक व सांस्कृतिक यथार्थ का प्रामाणिक दस्तावेज है। हिंदी साहित्य में आपका अतुलनीय योगदान भुलाया नहीं जा सकता।

वही, मंत्री सारंग ने ट्वीट कर लिखा है कि अपनी अद्वितीय साहित्यिक कृतियों से हिन्दी साहित्य को सुवासित करने वाले महान कथाकार और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन, गोदान, गबन, निर्मला, ईदगाह, बूढ़ी काकी जैसी आपकी अमूल्य रचनाएं सर्वदा साहित्य जगत की समृद्धि का सशक्त आधार रहेंगी।

8 अक्टूबर, 1936 में हुआ था मुंशी प्रेमचंद का देहावसान

बता दें, 8 अक्टूबर, 1936 को मुंशी प्रेमचंद का देहावसान हुआ था इस तरह वह दीप सदा के लिए बुझ गया जिसने अपनी जीवन की बत्ती को कण-कण जलाकर भारतीयों का पथ आलोकित किया। मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है।

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