नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभSocial Media

भोपाल में आयोजित नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का सीएम शिवराज ने किया शुभारंभ

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भोपाल में नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में सीएम ने गुरुजनों को प्रणाम कर अपना संबोधन शुरू किया है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भोपाल में नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में आयोजित नवनियुक्त शिक्षकों के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का कन्या-पूजन और दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर जन जातीय कार्य मंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समेत शिक्षा जगत के गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं।

नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम

गुरुजनों को प्रणाम कर सीएम ने अपना संबोधन शुरू किया:

सीएम शिवराज ने गुरुजनों को प्रणाम कर अपना संबोधन शुरू किया।यहां मुख्यमंत्री द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए नवनियुक्त शिक्षकों को शुभकामना पत्र और प्रशिक्षण सामग्री, प्रतीक स्वरूप छह शिक्षकों को भेंट की गई। इसके बाद सीएम शिवराज ने गुरुजनों को प्रणाम कर अपना संबोधन शुरू किया।

प्रणाम गुरुजी... गुरुजनों का सम्मान हमारी श्रद्धा है, संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। मेरे जीवन में शिक्षकों का विशेष सम्मानित स्थान रहा है। गांव में स्कूल में सबसे पहले गुरु के चरणों में सिर झुकाते थे। आप सभी शिक्षकों को प्रणाम।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

इस कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि, मेरा संकल्प है कि शिक्षकों के सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आने दूंगा। एक समय मध्यप्रदेश में ऐसा भी था, जब शिक्षकों के कई संवर्ग बना दिए गए थे, न शिक्षकों का सम्मान था न उन्हें उचित वेतन मिलता था, लेकिन हमने इसमें सुधार किया है।

सीएम ने अपने संबोधन में कही ये बड़ी बातें

  • मध्यप्रदेश के प्रथम सेवक के नाते मैं आपको वचन देता हूं कि आपके मान और सम्मान को बनाए रखने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

  • शिक्षक नौकर नहीं, बल्कि निर्माता है। शिक्षक होना कोई नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु होने का महत्वपूर्ण दायित्व है। आप बच्चों को जैसा गढ़ेंगे, देश का भविष्य वैसा ही बनेगा। आपके पास देश को बनाने का जिम्मा है।

  • हमारे स्कूल में शनिवार को बाल सभा होती थी और उसमें हमारे गुरु रतन चंद्र जैन जी हम बच्चों से 5 दोहे पढ़वाते थे और उसका अर्थ मुझसे पढ़वाते थे। आज मैं अच्छा वक्ता हूं, तो अपने गुरु जी के कारण।

  • मैंने गुरुजी के नाते आपको प्रणाम किया है, लेकिन आप हमारे छोटे भाई-बहन भी हैं। आप कर्मचारी नहीं हैं,आप बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले हैं। मैं जानता हूं कि जैसा आप इनका भविष्य बनायेंगे, वैसा ही आने वाले समय में ये भारत को गढ़ेंगे।

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