मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
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CM शिवराज ने गोवर्धन पूजा के अवसर पर "पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती" कार्यक्रम का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने आज भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में गोवर्धन पूजा कर प्रदेश की खुशहाली की प्रार्थना की।

भोपाल, मध्य प्रदेश। एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने आज बुधवार को सपत्नीक भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में गोवर्धन पूजा कर प्रदेश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की प्रार्थना की। साथ ही प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता भी ज्ञापित की। इसके साथ ही उन्होंने इस खास मौके पर आयोजित "पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती" कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

बता दें कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित "पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती" कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के 16 नगरीय निकायों में पर्यावरण हितैषी जीवनशैली को आत्मसात करने व परस्पर प्रतिस्पर्धा एवं रैंकिंग करने के लिए ग्रीन सिटी इंडेक्स का शुभारंभ किया।

शिवराज सिंह चौहान ने कही यह बात:

"पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती" कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "अंकुर अभियान के तहत पूरे मध्यप्रदेश में लोग 61 लाख से अधिक पेड़ जन्मदिन या खुशी के अवसरों पर लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि, जब हम छोटे थे तो गांव में भी बच्चों को ही गोधन मैया की पूजा के लिए सामग्री एकत्रित करने हेतु भेजा जाता था।"

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दौरान कहा कि, "पहले किसान पूरी जमीन पर खेती नहीं करते थे। वह अपने पशुओं के लिए पड़त भूमि छोड़ देते थे, ताकि उनके पशुओं को भी घास मिल सके। जिसे आज हम ग्रीन बेल्ट कहते हैं, पहले वह स्वाभाविक रूप से हुआ करती थी।"

उन्होंने कहा कि, "यदि कोई मुझसे पूछे कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? तो मैं हमेशा कहता हूं कि एक ही चेतना हम सब में है। इसको तुलसीदास जी ने कहा है कि सियाराम मय सब जग जानी।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि, "यदि कार्बन गैसों का उत्सर्जन ऐसे ही होता रहा, तो धरती का क्या होगा, यह हम समझ सकते हैं। इसलिए धरती को बचाना है, तो अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा। कम से कम अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगा लो।"

उन्होंने कहा कि, "हमने पशुओं को भी आत्मभाव से देखा। हमारे दशावतारों में तीन अवतार वाराह अवतार, मत्स्य अवतार, और कूर्म अवतार भी पशुओं के रूप में हुए हैं, और चतुर्थ नरसिंह अवतार अर्थात आधे मनुष्य आधे सिंह रूप में हुए।"

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