'वन्दे मातरम्' गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती पर सीएम ने किया नमन

Bhopal, Madhya Pradesh: आज राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) की जयंती है, इस अवसर पर CM ने कोटि-कोटि नमन किया है।
बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती
बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती Priyanka Yadav-RE

भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना संकटकाल के बीच जयंती और पुण्यतिथि का दौर जारी है इस बीच ही आज राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) की जयंती है, आज के दिन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म हुआ था, इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोटि-कोटि नमन किया है।

सीएम ने ट्वीट कर किया नमन :

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की जयंती पर शत-शत नमन। वन्दे मातरम् के माध्यम से आपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाकर आपने भावी पीढ़ियों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण की नींव रखी थी।

नरोत्तम मिश्रा ने भी किया ट्वीट-

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ट्वीट कर कहा- "वंदे मातरम्! सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्, शस्यश्यामलाम्, मातरम्, वंदे मातरम्!" सुप्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार, कवि, पत्रकार और भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन!

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून 1838 को हुआ था :

राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून 1838 को नैहाटी पश्चिम बंगाल में हुआ था, बंकिमचंद्र को उनकी साहित्यिक रचनाओं के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा, उन्होंने अपने उपन्यासों के माध्यम से देशवासियों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की चेतना का निर्माण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय प्रख्यात कवि, उपन्यासकार, गद्यकार और पत्रकार थे वहीं 8 अप्रैल, 1894 को यह महान राष्ट्र भक्त सदा के लिए हम सबसे विदा हो गए, आपको बताते चलें कि बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का सबसे चर्चित उपन्यास 'आनंदमठ' 1882 में प्रकाशित हुआ, जिससे प्रसिद्ध गीत 'वंदे मातरम्' लिया गया है, उनके द्वारा रचित उपन्यासों में दुर्गेशनंदिनी, आनंदमठ, कपालकुंडला, मृणालिनी, राजसिंह, विषवृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, सीताराम, राधारानी, रजनी और इंदिरा’ प्रमुख हैं, इन सभी उपन्यासों की विशेषता यह है कि इनके पात्र ऐतिहासिक या तत्कालीन समाज से लिए गए हैं।

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