भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में जहां कोरोना का संकट अभी तक टला नहीं है वहीं दूसरी तरफ कोरोना संकट के बीच प्रदेश में कई योजनाओं पर कार्य तेजी से जारी हैं, मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंगल क्लिक के माध्यम से आहार अनुदान योजना के तहत जनवरी 2021 के लिये कुल 2 लाख 19 हजार 258 विशेष पिछड़ी जनजातियों (सहरिया, बैगा तथा भारिया) परिवारों की महिला मुखियाओं को कुल 2192.58 लाख रुपये की राशि का अंतरण किया।
मुख्यमंत्री शिवराज ने सहरिया, बैगा तथा भारिया जनजातियों को आहार भत्ते की राशि का अंतरण कार्यक्रम मंत्रालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहरिया, बैगा तथा भारिया जनजातियों के आहार भत्ते की राशि के अंतरण कार्यक्रम में हितग्राहियों से संवाद कर रहे हैं, इस कार्यक्रम में जनजातीय कार्य विभाग एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री उपस्थित हैं।
➡शिवपुरी जिले की सुमित्रा बाई ने मुख्यमंत्री चौहान से संवाद करते हुये बताया कि हमें 1000 रुपये प्रति महीने मिल रहे हैं। सुमित्रा बाई ने बताया कि मुझे अन्य कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है। हर महीने राशन मिल जाता है।
➡वही छिंदवाड़ा की सावित्री बाई ने सीएम से संवाद करते हुये कहा एक दिन में 200 रुपये के करीब मजदूरी मिल जाती है। मनरेगा में भी काम मिलता है। हर महीने पोषण आहार की राशि 1000 रुपये मिल जाती है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा
इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि, मध्यप्रदेश के खजाने पर गरीबों, कमजोरों और असमर्थों का सबसे पहला हक है, हम लगातार गरीबों के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। इनके बच्चों की पढ़ाई, लिखाई और भाई-बहनों के इलाज के लिए दवाई के इंतजाम में भी लगे हुए हैं। वहीं आगे कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मेरे बच्चों की पढ़ाई में हम धन के अभाव को बाधा नहीं बनने देंगे, उच्च शिक्षा की फीस भी हमारी सरकार भरवायेगी।
आगे सीएम शिवराज बोले कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से इन बहनों के खातों में हर महीने पैसे डाल रहे हैं, इस साल 15 जिलों की 2 लाख 22 हजार बहनों के खातों में 226 करोड़ रुपये भेज चुके हैं और ये पैसा लगातार भेजा जाता रहेगा। सीएम ने कहा कि- हमारा संकल्प है कि जिनके पास मकान नहीं हैं, कच्ची झोपड़ियों में रह रहे हैं धीरे-धीरे उन सबके भी पक्के मकान बनाये जायेंगे। 3-4 साल में सभी के लिये मकान बना देंगे, बच्चों की पढ़ाई के लिये आपको पैसे खर्च नहीं करने, आदिवासी बेटा-बेटियों को कोचिंग के लिये आकांक्षा योजना है।
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