चंदा निगरानी के करोड़ों डकार गईं कमेटियां
चंदा निगरानी के करोड़ों डकार गईं कमेटियांSocial Media

Bhopal : चंदा निगरानी के करोड़ों डकार गईं कमेटियां

साल दर साल कम हुई वक्फ बोर्ड की आमदनी ,कमेटियों में सियासी मुतावल्ली के सामने बोर्ड असहाय। मुतावल्ली के चुनाव में शिरकत करने के लिए जमा करना होगी निगरानी नहीं तो कमेटियां नहीं कर पाएंगी मतदान।

भोपाल, मध्यप्रदेश। मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाली मुतावल्ली कमेटियां चंदा निगरानी का करोड़ों रुपये डकार गई हैं। बोर्ड के द्वारा बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद मुतावल्ली चंदा निगरानी की रकम बोर्ड के खाते में जमा नहीं कर रहे हैं। ,कमेटियों में सियासी मुतावल्ली के सामने बोर्ड खुद को असहाय महसूस कर रहा है। अब मप्र वक्फ बोर्ड ने ऐसी कमेटियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि यदि वे चंदा निगरानी की राशि बोर्ड के खाते में जमा नहीं करतीं हैं तो आगामी दिनों में होने वाले बोर्ड के चुनाव में मुतावल्ली मतदान नहीं कर पाएंगे। इस सख्त हिदायत के बाद कुछ कमेटियों ने बोर्ड के खाते में चंदा निगरानी की राशी जमा करना शुरू कर दी है। 350 मुतावल्ली कमेटिया बोर्ड के अधीन है। हालांकि अभी भी बोर्ड के करोड़ों रुपये दर्जनों कमेटियों के ऊपर बकाया हैं।

साल दर साल कम हुई चंदा निगरानी की राशि :

वर्ष 2019 और 20 में 1 करोड़ से अधिक चंदा निगरानी की राशि जमा हुई। लेकिन 3 साल के आंकड़ों पर हम नजर डालें तो साल दर साल चंदानिगरानी की राशि बोर्ड में कम जमा हो रही है। मप्र वक्फ बोर्ड में वक्फ संपत्तियों से आमदनी के तौर पर मिलने वाली चंदा निगरानी की 10 प्रतिशत राशि से बोर्ड को 2019 के वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ 3 लााख 25 हजार 426 रुपये प्राप्त हुए थे। जबकि 2018 और 19 में यह राशि 1 करोड़ 58 लाख 89 हजार 696 रुपये थी। यानि लगभग 55 लाख रु की राशि कमेटियों द्वारा कम जमा की गई। इसी तरह वर्ष 2017 और 18 में 1 करोड़ 66 लाख 21 हजार 667 रु बोर्ड को चंदा निगरानी के तौर पर आमदनी हुई। मजेदार बात यह है कि बोर्ड की वेबसाइट पर 2020 और 21 का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। साथ ही करोड़ों रुपये चंदा निगरानी के डकार चुकीं कमेटियों के डिफाल्टर होने की भी कोई जानकारी यहां नहीं दी गई है।

अन्य स्त्रोतों से बढ़ी आमदनी, चंदा निगरानी में गिरी :

मप्र वक्फ बोर्ड को किरायेदारी, नीलामी और चंदा निगरानी से आमदनी प्राप्त होती है। बीते सालों में जहां बोर्ड की आमदनी अन्य स्त्रोतों से बढ़ी है, तो वहीं चंदा निगरानी से गिरी है। अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2017-18 में बोर्ड को 2 लाख 24 हजार रु अन्य स्त्रोतों से आमदनी हुई थी, जबकि 2018-19 में यह आमदनी बढ़कर 7 लाख पर पहुंच गई। 2019 और 20 में तो आमदनी में उछाल सात गुना तक बढ़कर 51लाख 94 हजार 154 रु पर पहुंच गई जो पिछले 6 साल में अब तक की सबसे ज्यादा आमदनी है, वर्ष 2013 में जरूर बोर्ड ने 57 लाख 28 हजार 151 रु अन्य सोर्स से प्राप्त किए थे।

इनका कहना है :

मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाली मुतावल्ली कमेटियां को हिदायत दी गई है कि चंदा निगरानी की राशि बोर्ड के खाते जल्द से जल्द जमा करे।जो कमेटियां नहीं करेंगी वो बोर्ड के चुनाव में मतदान नही कर सकेंगी।

सैय्यद शाकिर जाफरी, सीईओ वक्फ बोर्ड

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