ग्वालियर : इमरती के बयानों से कांग्रेस ने डबरा पर किया था अधिक फोकस

प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद से जिस तरह से इमरती देवी ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर बयान देना शुरू किए थे उसके चलते कांग्रेस ने डबरा सीट को खास नजर में कर लिया था।
इमरती के बयानो से कांग्रेस ने डबरा पर किया था अधिक फोकस
इमरती के बयानो से कांग्रेस ने डबरा पर किया था अधिक फोकसSocial Media

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद से जिस तरह से इमरती देवी ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर बयान देना शुरू किए थे उसके चलते कांग्रेस ने डबरा सीट को खास नजर में कर लिया था। डबरा में इमरती को हराने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव के साथ ही ग्रामीण अध्यक्ष अशोक सिंह व पूर्व सांसद रामसेवक सिंह को तैनात कर दिया था और इसी तिकड़ी की भूमिका के कारण डबरा में इमरती को पटकनी देने में कांग्रेस सफल हुई।

डबरा की सभा में कमलनाथ ने जो शब्द बोला था उसके बाद से ही इमरती देवी को लेकर यह मुद्दा भाजपा ने जमकर उठाया था। वहीं इमरती कई बार कह चुकी हैं कि मै इस बार भी जीतूंगी, क्योंकि पिछली बार भी 58 हजार से अधिक वोटों से जीती थी। इस बयानों के बाद से ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने क्षेत्र में यह बात आम कर दी कि इमरती तो कह रही हैं कि डबरा क्षेत्र में कोई पार्टी नहीं बल्कि इमरती जीतती है। कांग्रेस ने डबरा एवं करैरा विधानसभा के लिए पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव को जिम्मेदारी सौंपी थी और उनके साथ अशोक सिंह एवं रामसेवक सिंह बाबूजी को भी लगाया गया था। पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई मान लिया था और ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक सिंह डबरा क्षेत्र में ही रहे और उन्होंने जिस तरह की रणनीति बनाई उसके चलते कांग्रेस के सुरेश राजे विजयी हो सके। इमरती को सबसे मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा था, क्योंकि वह पिछले तीन चुनाव लम्बे मतो के अंतर से जीत चुकी हैं, जिसके कारण कांग्रेस के सामने यह संकट था कि इमरती को आखिर कैसे हराया जा सके। वहीं इमरती पिछली जीत के अंतर से इस बार भी आश्वस्त थी कि आखिर जीत का आंकड़ा भले ही कुछ कम हो पर जीत जरूर मिलेगी। यही सोच इमरती के लिए घातक साबित हुई, क्योंकि उन्होंने यह नहीं देखा कि जब जीत मिली थी तब वह कांग्रेस में थी इसलिए वोटरों का झुकाव इमरती में नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी में था।

पूर्व मंत्री लाखन सिंह व अशोक सिंह ने डबरा के साथ ही करैरा पर भी खासा ध्यान दिया और वहां की रणनीति बनाने के साथ ही कांग्रेसियों को एकजुट कर सक्रिय किया जिसका लाभ कांग्रेस को मिला। वैसे इमरती के पास भी रणनीति बनाने में महारथ हासिल करने वाले मोहन सिंह राठोर थे, लेकिन उनकी इस बार रणनीति को कांग्रेस नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्र में भले ही फेल नहीं कर सके, लेकिन डबरा शहर में फेल कर दिया। पिछले तीन चुनाव में इमरती के लिए मोहन सिंह ही रणनीति बनाने के साथ चुनाव कैपेंन का काम करते आ रहे थे, लेकिन इस बार दल बदल जाने के कारण मोहन सिंह की रणनीति सफल नहीं हो सकी।

डबरा में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे की जीत के बाद कांग्रेस नेताओं ने एक दूसरे का मुंह मीठा कराया। ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष अशोक सिंह ने जमकर पसीना बहाया वहीं प्रभारी पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव ने डबरा के साथ ही करैरा में मेहनत की थी और कांग्रेस को दोनो ही सीट दिलाने में सफल रहे। सुरेश राजे की जीत के बाद पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, अशोक सिंह, पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी ने इमरती खाकर अपना मुंह मीठा कर जीत का जश्न मनाया।

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