सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट इंदौर
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट इंदौरRE

ट्रीटेड वाटर से नहीं, पीने के पानी से धड़ल्ले से जारी है निर्माण कार्य

वर्तमान में शहरभर में निर्माण कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं और ज्यादातर में बोरिंग या नर्मदा के पानी का उपयोग हो रहा है। इसी तरह शहरभर के निजी बगीचो में भी बागवानी पीने के पानी से हो रही है।

इंदौर। पिछले दिनों हुई नगर निगम परिषद की बैठक में यह बताया गया था कि शहर में जल्द ही एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से निकले पानी को शहरभर में एजेंसी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि पीने के पानी से शहर में कहीं भी निर्माण कार्य, बागवानी और वाहनों की सर्विसिंग न हों। गर्मी शुरू होने जा रही है और हमेशा की तरह एक बार फिर शहर में जलसंकट पैदा होगा। इसके बाद भी नगर निगम ने अब तक यह व्यवस्था शुरू नहीं की है।

वर्तमान में शहरभर में निर्माण कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं और ज्यादातर में बोरिंग या नर्मदा के पानी का उपयोग हो रहा है। इसी तरह शहरभर के निजी बगीचो में भी बागवानी पीने के पानी से हो रही है। वहीं सर्विस स्टेशनों पर वाहन पीने के पानी से ही धुल रहे हैं। इस पर निगामायुक्त ने पहले से ही पाबंदी लगा दी है। इसके बाद भी बिना रोक-टोक के यह सब चल रहा है।

सबसे महंगा पानी इंदौर में मिल रहा है

महापौर पुष्यमित्र भार्गव लगातार यह बात कहते आ रहे हैं कि इंदौर एक ऐसा शहर है, जहां पूरे देश में सबसे महंगा पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है। इसके बाद भी नगर निगम के जिम्मेदार इस महंगे और कीमती पानी को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। नगर निगम के जिम्मेदार भी घोषणावीरों की तरह घोषणा कर के भूल जाते हैं। यदि शहरभर में अपने करीब एक दर्जन एसटीपी प्लांट, जो करीब 300 करोड़ की लागत से बने हैं, उसका पानी उपलब्ध कराए, तो लोगों को आसानी होगी और ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल निर्माण कार्य और अन्य कार्यों में इसका उपयोग हो सकेगा। निगामायुक्त ने घोषणा की थी कि शहरभर के हाइड्रेंड से ट्रीटेड वाटर टैंकरों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद परिषद की बैठक में बताया गया कि यह काम एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, लेकिन अब तक कोई पहल होती नहीं दिख रही है। 

गाद से बिजली बनाने की भी की गई थी घोषणा

इसी तरह शहरभर के विभिन्न एसटीपी से निकलने वाली गाद (स्लज) से बिजली बनाने की दिशा में भी निगम ने कार्य शुरू किया था, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। कहा गया था कि  सीवेज के स्लज (गाद) से बिजली बनाने से एसटीपी के संचालन में लग रही बिजली के बिल में बड़ी कटौती होगी। साथ ही अतिरिक्त बिजली भी मिलेगी। गाद का निपटान एक बड़ी समस्या है। यदि इससे बिजली बनाने का काम शुरू हो जाएगा, तो इसके निपटान में आसानी होगी और इससे खाद भी बनाना मुश्किल नहीं होगा।  उल्लेखनीय है कि इंदौर में सबसे बड़ा एसटीपी प्लांट कबीटखेड़ी में जहां करीब 245 एमएलडी की क्षमता है। अन्य एसटीपी सीपी शेखर नगर, दयानंद नगर, सांवेर रोड, आजाद नगर, पलासिया सहित कई अन्य स्थानों पर बनाए गए हैं, वहीं सिरपुर में भी एसटीपी लगभग बनकर तैयार होने जा रहा है।

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