ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर की जनता को किस तरह पानी सप्लाई किया जाता है और पानी फिल्टर करने की प्रक्रिया क्या है यह समझने के लिए निगमायुक्त शिवम वर्मा मंगलवार को मोतीझील प्लांट पहुंचे। उन्होंने नए एवं पुराने प्लांट का निरीक्षण किया। किस प्लांट में कितना पानी फिल्टर होता है और शहर में कितना पानी सप्लाई किया जाता है इसकी जानकारी ली। इसके बाद निगमायुक्त जलालपुर में निर्माणाधीन 160 एमएलडी के डब्लूटीपी को देखने पहुंचे। उन्होंने कहा कि अप्रैल माह में प्लांट का एक हिस्सा चालू कर दें ताकि नई टंकियों को भरा जा सके। निरीक्षण के दौरान पीएचई अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य, कार्यपालन यंत्री जागेश श्रीवास्तव सहित अधिकार उपस्थित थे।
निरीक्षण के दौरान अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य ने निगमायुक्त को पेयजल सप्लाई की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी। जलालपुर में निर्माणाधीन वाटर फिल्टर प्लांट का निरीक्षण करते हुए निगमायुक्त ने कार्य को जल्दी खत्म कराने के लिए कहा। अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य ने बताया कि 160 एमएमलडी के इस प्लांट की लागत 56 करोड़ है और इसकी एक यूनिट हम अपे्रल माह में शुरू कर देंगे। निगमायुक्त ने कहा कि हर हाल में प्लांट को समय सीमा में शुरू करें। इसके बाद निगमायुक्त मोतीझील प्लांट पहुंचे। उन्होंने प्लांट की दोनों यूनिटों का पैदल ही निरीक्षण किया। अधीक्षण यंत्री ने बताया कि वर्तमान में जो तीन प्लांट संचालित हैं उनसे लगभग 183 एमएलडी पानी फिल्टर किया जाता है। जबकि आवश्यकता इससे कही अधिक है। जब नया प्लांट बन जायगा तब समस्या हल होगी। निगमायुक्त ने मोतीझील प्लांट में रॉ वाटर को क्लीयर वाटर तक की पूरी प्रोसेस को देखा और आवश्यक दिशा निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इसके साथ ही मोतीझील प्लांट परिसर के आस पास के क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के निर्देश दिए।
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