दुर्दशा ग्रस्त मैदान, कहां खेलें श्रीमान
दुर्दशा ग्रस्त मैदान, कहां खेलें श्रीमानराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Dhanpuri : दुर्दशा ग्रस्त मैदान, कहां खेलें श्रीमान

धनपुरी, मध्यप्रदेश : खेलने और खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए खेल मैदान का होना जरूरी है जिसकी कमी से कोयलांचल नगरी धनपुरी वासी एक लंबे समय से जूझ रहे हैं।

हाइलाइट्स :

  • अतिक्रमण की चपेट में नगर के आधा दर्जन खेल मैदान।

  • ऐसा कोई स्टेडियम या मैदान नहीं जहां खेल प्रशिक्षण ले सकें बच्चे।

  • खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले संभाग आयुक्त से बढ़ी उम्मीदें।

धनपुरी, मध्यप्रदेश। विद्वान-बुजुर्ग कहते हैं कि खेलों से शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास भी होता है अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेलना जरूरी है लेकिन क्या गिल्ली डंडा, बंटी या लुका-छिपी खेलने से शारीरिक और मानसिक विकास होगा। खेलने और खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए खेल मैदान का होना जरूरी है जिसकी कमी से कोयलांचल नगरी धनपुरी वासी एक लंबे समय से जूझ रहे हैं। यूट्यूब नगर में लगभग आधा दर्जन मैदान ऐसे हैं जहां न सिर्फ बच्चों को खेल का प्रशिक्षण दिया जा सकता है बल्कि वह अपनी खेल प्रतिभाओं को बखूबी निखार सकते हैं लेकिन अतिक्रमण की बाढ़ गंदगी और बदहाली में इन खेल मैदानों का मानो अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है।

बदहाल मैदान :

धनपुरी नगर में मां ज्वालामुखी मैदान, बाबूलाल ग्राउंड, ब्रिटिश ग्राउंड विलेज नंबर 1, मैगजीन सिद्ध बाबा ग्राउंड, की जमीन धीरे-धीरे अतिक्रमण की चपेट में आ गई और अब आलम यह है कि खेलना तो दूर यहां कुछ भी कर पाना संभव नहीं है।

घुट रही प्रतिभाएं :

खेल मैदान नहीं होने से खेल प्रतिभाएं दबकर रह गई हैं। नगर व क्षेत्र में भी ऐसा कोई खुला स्थान नहीं है जहां सुबह शाम युवा प्रेक्टिस कर सके। क्षेत्र के सैकड़ों युवा सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ लगाते मिलते हैं। वहीं अगर फुटबाल , क्रिकेट खेलने का मन हो तो किसी स्कूल के मैदान की ओर रुख करते हैं। कई लोग दशहरा मैदान पर खेलने जाते है। युवाओं का कहना है कि हमारे क्षेत्र में ऐसा कोई खेल मैदान स्टेडियम नहीं है, जहां वे अच्छी तरह से प्रशिक्षण या ट्रेनिंग ले सकें। क्षेत्र में अच्छा स्टेडियम व अच्छे कोच न होने से यहां के खिलाड़ी यहीं के होकर रह गए हैं। इन खिलाड़ियों का देश के लिए कुछ करने का जज्बा दबकर रह गया है।

मिला तो सिर्फ झुनझुना :

क्षेत्र में हर वर्ष दो से तीन क्रिकेट टूर्नामेंट खेल प्रेमी व खिलाड़ी मिलकर कराते हैं। हर आयोजन के शुभारंभ एवं समापन अवसर पर अतिथि के रूप में आमंत्रित जनप्रतिनिधियों अधिकारियों से खेल मैदान के साथ ही अन्य सुविधाओं एवं प्रशिक्षकों की मांग की जाती है लेकिन हर बार नगर वासियों को आश्वासन का झुनझुना थमा कर अतिथिगण प्रस्थान कर जाते हैं। खिलाड़ियों की मांग पर कई बार इन बड़े नेताओं ने घोषणा तो की लेकिन घोषणा पर अमल नहीं किया गया। युवाओं का दावा है कि धनपुरी क्षेत्र में स्टेडियम बन जाए तो कई अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं। स्टेडियम की मांग कई मर्तबा की जा चुकी है पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

बिना प्लानिंग के करोड़ों खर्च :

नगर पालिका द्वारा नगर सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए व्यय किऐ गए लेकिन खेलकूद के लिए एक भी मैदान का विकास या शासकीय स्टेडियम निर्माण नहीं कराया गया और ना ही कोई प्लानिंग की जा रही है वर्षों पूर्व जो भी खेल मैदान थे वह भी अतिक्रमण के जरिए धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे है। नगर के ऐसे कई प्रतिभावान खिलाड़ियों ने संभागीय, राज्य एवं राष्ट्रीय मैच खेलकर संभाग व नगर का नाम रोशन किया है इतना होने के बाद भी खेल ग्राउंड ना होने के चलते कई अन्य खिलाड़ियों की प्रतिभा यहीं दब कर रह गई है।

बच्चे खेलें तो कहां :

नगर के पूर्व खिलाड़ियों गोविंद अग्रवाल, गोरेलाल, जयदीप पाल, मोहन कश्यप आदि का कहना है कि बच्चे बचपन में खेलेंगे नहीं तो खिलाड़ी कैसे बनेंगे। खेलों से बच्चों के शरीर का विकास होता है। इससे शरीर बीमारियों से दूर रहता है। महिलाएं तो सारा दिन घर में ही बंद रहती हैं। अगर इलाके में कोई खेल का मैदान बन जाए तो महिलाएं भी सुबह शाम वहां योग और सैर आदि कर खुद को निरोग बना सकें। इलाके में खेल का मैदान बनना चाहिए।

मैदान अतिक्रमण की चपेट में :

युवा खेल प्रेमियों कहना है कि नगर व जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। सरकार खेलों के महत्व को समझ रही है, लेकिन मैदानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं हैं। नगर में आधा दर्जन ऐसे मैदान जहां खेलना संभव नहीं है। मां ज्वालामुखी मैदान, बाबूलाल ग्राउंड, ब्रिटिश ग्राउंड विलियस नंबर 1, मैगजीन सिद्ध बाबा ग्राउंड, सुभाष माइंस पूर्व में चल चुकी खदान, अगर उक्त स्थलों में प्रयास किया जाए तो नगर के युवा खेल प्रेमियों खिलाड़ियों को एक खेल मैदान की सुविधा मिल सकती है जो वर्षों से मांग की जा रही है। बरसों से मैदान धीरे-धीरे अतिक्रमण के चपेट में आते जा रहे हैं बाबूलाल ग्राउंड धीरे धीरे ग्राउंड की जमीन कम होती जा रही है, क्योंकि ईंट भट्टे वाले जमीन पर बेजा कब्जा कर हजम करते जा रहे हैं और नगर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अतिक्रमण कारियों के हौसले बुलंद कर रही है। स्थानीय नागरिकों ने खेल गतिविधियों एवं सुविधाओं को बढ़ावा देने वाले संभागायुक्त शहडोल तथा जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नगर में खेल सुविधाओं के विस्तार के साथ मैदानों की सुरक्षा के निर्देश नगर प्रशासन को दिए जाने की मांग की है।

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