हार्वेस्टर संचालकों ने बढ़ाए फसल कटाई के दाम
हार्वेस्टर संचालकों ने बढ़ाए फसल कटाई के दामसांकेतिक चित्र

किसानों पर दोहरी मार : पहले आपदा और अब हार्वेस्टर संचालकों ने बढ़ाए फसल कटाई के दाम

प्राकृतिक आपदा की मार झेल चुका किसान जल्द फसल कटाई की जद्देजहद में जुटा है। वहीं, किसानों की इस परेशानी को देखते हुए हार्वेस्टर संचालकों ने फसल कटाई के रेट डेढ़ से दोगुने तक बढ़ाए।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पिछले दिनों बेमौसम बारिश से धान, सोयाबीन, मक्का और उड़द सहित खरीफ सीजन की तैयार फसलों को बड़ा नुकसान हुआ। मौसम में उतार-चढ़ाव का यह दौर अभी भी बना हुआ है। ऐसे में प्राकृतिक आपदा की मार झेल चुका किसान जल्द फसल कटाई की जद्देजहद में जुटा है। वहीं, किसानों की इस परेशानी को देखते हुए हार्वेस्टर संचालकों ने फसल कटाई के रेट डेढ़ से दोगुने तक बढ़ा दिए हैं, जिससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।

पीड़ित किसानों का कहना है कि हार्वेस्टर संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए। वहीं, हार्वेस्टर संचालकों ने रेट बढ़ाने के पीछे डीजल के दाम बढ़ने की बात कही। गौरतलब है, कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश भाग में धान लग गई है, जिसमें शुरआती धान की फसल पक कर तैयार हो गई है। अब किसानों का पूरा ह ध्यान धान कटाई की ओर है। क्योंकि दीपावली का त्योहार आने के करीब है। इस कारण किसान इस धान को खेत में छोडऩा नहीं चाह रहे और कटाई शुरू कर दी हैं। पर हार्वेस्टर से धान कटाई का रेट सुनकर किसानों को पसीने छूटने लगे हैं।

वजह... इसलिए हार्वेस्ट से धान कटाई के प्रति बढ़ा किसानों का रूझान :

पिछले कुछ सालों से संपन्न किसानों का रुझान हार्वेस्टर से धान कटाई कराने की ओर बढ़ा है। इससे एक तो धान की कटाई जल्दी होती है, धान अर रहता है। खेत से ही धान बेचने के लिए सीधे मंडी या खुले बाजार में ले जाई जा सकती। वहीं दूसरा कारण मजदूरों की कमी होना भी है, इसीलिए किसानों का रुझान हार्वेस्टर से धान कटाई के प्रति बढ़ रहा है। किसान कंचन नागर ने बताया कि इस बार फसल मौसम के कारण अच्छी नहीं है। उस पर धान कटाई का रेट ऐसा है कि लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है।

किसका, कितना बढ़ाया दाम :

हर्वेस्टर से कटाई के रेट बढ़ने का प्रमुख कारण डीजल का रेट बढऩा बताया जा रहा है। छीमक के किसान राकेश लौवंशी ने बताया कि पिछले साल हार्वेस्टर से धान कटाई का रेट प्रति एकड़ 1200 से 1300 रुपए था, जो इस साल 1800 से 2200 रुपए तक पहुंच गया है। जबकि मजदूरों से धान कटाई पिछले साल ढाई सौ रुपए प्रति दिन था, जो इस वर्ष बढ़कर 400 रुपए हो गया है। उन्होंने प्रशासन से इन हार्वेस्टर संचालकों की मनमानी पर नियंत्रण लगाने और एक निश्चित दर तय करने की मांग की है ताकि अन्नदाता पर महंगाई की मार ना पड़े।

छोटे किसानों को हो रही परेशानी :

धान कटाई का रेट उन किसानों के लिए अधिक है, जो छोटे या मध्यम किसान हैं। ऐसे ही चीनौर के किसान धमेन्द्र शर्मा का कहना है कि मौसम में आए उतार चढ़ाब के कारण उनके खेत में कहीं 6 बोरा प्रति एकड़, तो कहीं 8 बोरा प्रति एकड़ धान हाथ आना है। ऐसे किसान 1800-2200 रुपए देकर धान कटाई कराने की स्थिति में नहीं है। वह हार्वेस्टर से धान कटाई का पैसा कैसे दे पाएंगे। वहीं हार्वेस्टर संचालक सुरेंद्र चौहान का कहना है कि पिछले साल डीजल का भाव 64 रुपए प्रति लीटर था जो अब 106 रुपए प्रति लीटर हो गया है ऐसे में रेट बनाना मजबूरी है।

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