ग्वालियर, मध्य प्रदेश। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक दलित महिला के लिए जो अपशब्द कहे थे, क्या उसके लिए वे माफी नहीं मांग सकते थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी आगाह किया था, लेकिन कमलनाथ उस समय भी गुरूर में थे और आज भी हैं। चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है और कमलनाथ के संबंध में आयोग ने जो कदम उठाया है, वह दलित अस्मिता और नारी सम्मान के हक में है। यह बात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने शनिवार को मीडिया से चर्चा के दौरान कही।
शर्मा ने कहा कि अब जनता तीन नवंबर को कमलनाथ का गुरूर उतारेगी। प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नारी शक्ति कांग्रेस को इस अपमान का जवाब देगी। शर्मा ने कहा कि अगर चुनाव आयोग ने कोई निर्देश दिया है तो उसके आदेशों का पालन सभी को करना चाहिए, लेकिन कमलनाथ ने केंद्रीय चुनाव आयोग के आदेश पर प्रश्न खड़ा किया। सुप्रीम कोर्ट हो या चुनाव आयोग कोई भी संवैधानिक संस्था जब कुछ कहती है तो उस पर प्रश्न खड़े करना कमलनाथ की आदत है। उन्हें किसी भी संवैधानिक संस्था पर विश्वास नहीं है।
उधर अनुसचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने मीडिया से चर्चा के दौरान कमलनाथ से स्टार प्रचार का दर्जा वापस लिए जाने को दलितों की जीत बताते हुए कहा कि हमारी दलित बहन इमरती देवी के लिए कमलनाथ ने जिस तरह अभद्र भाषा का प्रयोग किया और माफी तक नहीं मांगी, उससे स्पष्ट है कि कमलनाथ तानाशाही और अहंकारी प्रवृत्ति के हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।