रेन वॉटर हार्वेस्टिंग : कागजों में हो रहा ज्यादा काम
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग : कागजों में हो रहा ज्यादा कामMumtaz Khan - RE

Indore : रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर कागजों में हो रहा ज्यादा काम

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर मीटिंग और अन्य कागजी कार्य तो ज्यादा हो रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि शहर में ऐसे कई स्थान है, जहां नगर निगम की टीम या संबंधित एनजीओ ने दस्तक तक नहीं दी है।

हाइलाइट्स :

  • कई इलाकों में अब तक सर्वे तक नहीं कर पाई नगर निगम।

  • एजेंसी के एस्टीमेट से संतुष्ट नहीं हो पा रहे लोग।

इंदौर, मध्यप्रदेश। स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद नगर निगम के जिम्मेदारों का पूरा फोकस वाटर हार्वेस्टिंग पर था। शहर में ज्यादा से ज्यादा बारिश का पानी जमीन में जाए। इसके लिए निगामायुक्त द्वारा समाज के सभी वर्गों के साथ लगातार बैठकें ली। लोगों को समझाइश दी और जिन्होने वाटर हार्वेस्टिंग में भाग लिया उन्हें प्रोत्साहित भी किया। 1 जून तक लक्ष्य रखा गया था कि जहां-जहां रैन वाटर हार्वेस्टिंग का काम पूरा हो गया है, वहां जियो टैग कर दिया जाए।

जियो टैगिंग का अर्थ होता है कि कार्य की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना है। इससे अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन जानी जाती है। इससे गूगल मैप देखकर जगह का आसानी से पता किया जाता है, लेकिन यह काम समय पर नहीं हो पाया। इसको लेकर मीटिंग और अन्य कागजी कार्य तो ज्यादा हो रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि शहर में ऐसे कई स्थान है, जहां नगर निगम की टीम या संबंधित एनजीओ ने दस्तक तक नहीं दी है।

शहर के मध्य इलाकों में नहीं हो पाया सर्वे :

नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि यदि 15 जनवरी तक लोगों ने, जिनके प्लाट का साइज 1500 से अधिक है या घर, संस्थान में बोरिंग है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवाया है, तो उनके खिलाफ 500 से 5000 हजार तक चालानी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया था कि नगर निगम की जोनल स्तर की टीम और एनजीओ घर-घर पहुंचकर सर्वे करेगी कि किन घरों में रेन वाटर रिजार्चिंग है या नहीं। साथ ही किन घरों में बोरिंग है, लेकिन अब तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराया है। हालत यह है कि आधे शहर का भी सर्वे सही तरीके से नहीं हो पाया। शहर के मध्य इलाके जैसे कंचन बाग, पलासिया, साउथ तुकोगंज, साकेत, श्रीनगर आदि ऐसे इलाके हैं, जो पाश इलाके होने के बाद भी वाटर रिचार्जिंग नहीं हो पाया है।

एमवायएच परिसर में 20 से अधिक बोरिंग :

मिली जानकारी के मुताबिक एमवायएच परिसर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में ही करीब 20 से अधिक बोरिंग हैं, लेकिन अब तक कहीं भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं किया गया है और न ही इसको लेकर नगर निगम या किसी एनजीओ ने कोई पहल की है। यही हाल जिला अस्पताल और अन्य सरकारी भवनों का है, जहां पर बोरिंग से भरपूर पानी तो लिया जा रहा है, लेकिन रैन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं किया गया है। वहीं निगम शहरभर में इसको लेकर माहौल बना रहा है। इन स्थानों पर आसानी से सरकारी खर्चे पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के जरिए लाखों लीटर पानी जमीन में उतारा जा सकता है।

हर पांच घर के पीछे एक बोरिंग, फिर भी :

इंदौर के जो नए इलाके बसे हैं, जैसे खजराना, विजय नगर, सुकलिया, चंदन नगर, ग्रीन पार्क कालोनी, अन्नपूर्णा, राजेंद्र नगर, राऊ आदि के आसपास जो वैध-अवैध कालोनी काटी गई हैं। इनमें शुरुआत में नर्मदा की लाइन नहीं थी। इस कारण यहां लोगों ने जमकर बोरिंग किए गए हैं। कुछ इलाके तो ऐसे हैं, जहां हर पांच घर के बीच एक बोरिंग हैं, लेकिन यहां भी वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर उदासीनता है। इन इलाकों की कई कालोनी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग तो दूर सर्वे के लिए टीम पहुंची नहीं है। ऐसे में कैसे नगर निगम लक्ष्य पूरा कर सकेगा।

जो रिक्वेस्ट, वो ही पूरी नहीं कर पा रहे हैं :

नगर निगम के एप इंदौर 311 पर भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर एक कॉलम दिया गया है। इसके माध्यम से लोग रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक हजारों की संख्या में लोगों ने रिक्वेस्ट इस एप के माध्यम से डाली हुई हैं। नगर निगम की टीम इन्हीं रिक्वेस्ट को पूरा समय पर नहीं कर पा रही है, तो जो इससे उदासीन है, उन तक कैसे पहुंचेंगी। वहीं अब चुनावी मौसम शुरू हो गया है, तो निगम भी लोगों पर सख्ती नहीं कर पाएगा, क्योंकि पार्षद पद के दावेदार हर मामले में आगे आएंगे।

नगर निगम ने जो पहल की है, वो बहुत अच्छी है और आने वाले कल की चिंता अभी से की गई। इसको लेकर लोगों को स्वयं पहल करना चाहिए, नगर निगम का इंतजार नहीं करना चाहिए। पहले ही हम जमीन से करोड़ों लीटर पानी खींच चुके हैं, अब हमारा जमीन को पानी देने का वक्त आ गया है, ताकि भविष्य में शहर मरुरस्थल न बने।
डॉ. मनोहर भंडारी, पर्यावरणविद

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