MGM कॉलेज में फर्जी नियुक्ति
MGM कॉलेज में फर्जी नियुक्ति RE-Indore

MGM कॉलेज में हुई लैब टेक्निशियन की फर्जी नियुक्ति -20 माह तक चली जांच,कर्मचारी बर्खास्त - दर्ज होगी FIR

Fake appointment in MGM Medical College: कॉलेज प्रबंधन द्वारा संबंधित लैब टेक्निशियन को सेवा से बर्खास्त करते हुए, उसके खिलाफ थाना संयोगितागंज में एफआईआर कराने के लिए आवेदन दिया है।

इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एक कर्मचारी की फर्जी नियुक्ति का मामले का खुलासा हुआ है। शिकायत मिलने के बाद डीन द्वारा इस मामले की जांच कमेटी बनाकर जांच कराई गई थी। जांच डॉ. अनिता मूथा की अध्यक्षता में करीब 20 माह तक चली। जांच में इस बात की पुष्टि हो गई कि फर्जी डाक्यूमेंट्स के आधार पर फर्जी नियुक्ति की गई है।

इस मामले में निर्णय लेते हुए कॉलेज प्रबंधन द्वारा संबंधित लैब टेक्निशियन को सेवा से बर्खास्त करते हुए, उसके खिलाफ थाना संयोगितागंज में एफआईआर कराने के लिए आवेदन दिया है। जांच में यह बात सामने आई है कि जो दस्तावेज नियुक्ति के समय दिए गए थे और जिस प्रकार से फर्जी नियुक्ति की गई है, उसमें बड़े पैमाने पर जालसाजी हुई है।

27 वर्ष बाद हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

जानकारी के मुताबिक देवेंद्र वैद्य के की 26 जून 1977 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पोस्टिंग लैब अटेंडेंट के रूप में हुई थी। तब तत्कालीन डीन डॉ. आरके मुंजाल थे। शिकायत के मुताबिक वैद्य ने 10वीं के साथ 8 साल का कार्यानुभाव का प्रमाण-पत्र लगाया था। यह प्रमाण-पत्र नियुक्ति से तीन माह पहले ही बनवाया गया था। यह प्रमाण-पत्र किसी सरकारी विभाग का भी नहीं था। भर्ती के समय अनिल राठौर की शैक्षणिक योग्यता ज्यादा थी, बावजूद नौकरी वैद्य को दे दी गई। इतना ही नहीं 25 मई 2006 को पदोन्नत कर लैब असिस्टेंट बना दिया गया। इसमें 12वीं बायोलाजी की फर्जी मार्कशीट लगाने का भी आरोप था।

इसी तरह 16 सितंबर 2011 में फिर पदोन्नति देकर उसे लैब टेक्निशियन बना दिया गया। इस पूरे फर्जीवाड़े की शिकायत करीब 27 वर्ष बाद डीन को की गई। इस पर डीन द्वारा माइक्रोबायलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता मूथा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर जांच शुरू की गई। जांच में शिकायत में जो आरोप लगे थे, वो सही पाए गए।

फर्जी नियुक्ति के मामले में चल रहा केस

यह बात सामने आई है कि वैद्य की नियुक्ति बाबू हरीश पारेख के कार्यकाल में की गई थी। इन पर फर्जी नियुक्ति मामले में कोर्ट में केस चल रहा है। वैद्य का नियुक्ति फर्जी और फर्जी दस्तावेज के माध्यम होने के बाद इस पूरे मामले में नया मोड़ आ सकता है। जांच कमेटी द्वारा करीब 20 माह जांच चली। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान विभिन्न माध्यमों से डीन और जांच कमेटी पर भी दबाव बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जो शिकायत की गई थी, उसमें आरोप इतने गंभीर थे कि वैद्य की नौकरी बच नहीं सकी। अब पूरे मामले की पुलिस जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी।

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