वित्त विभाग की मनमानी
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वित्त विभाग की मनमानी, नगरीय निकायों से पूछे बगैर डेढ़ साल में काट लिया 516 करोड़

भोपाल , इंदौर जैसे बड़े शहरों से सात से 12 करोड़ रुपए की कटौती होने लगी। स्थिति यह है कि दिसंबर, 2021 से मार्च 2023 के दौरान चुंगी क्षतिपूर्ति से 441.33 करोड़ रुपए काटा जा चुका है।

भोपाल, मध्यप्रदेश । वित्त विभाग की मनमानी सामने आई है। नगरीय निकायों से पूछे बगैर उनको हर महीने मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में से कटौती की जा रही है। यह पैसा बिजली का बकाया चुकाने के लिए सीधे कंपनियों के खाते में डाला जा रहा है। डेढ़ साल में ही 516 करोड़ से अधिक काटा जा चुका है। इससे नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। बिना पूछे कटौती को लेकर निकायों ने नगरीय प्रशासन संचालनालय से आपत्ति जताई है।

प्रदेश में चुंगी कर की वसूली बंद होने के बाद इसकी क्षतिपूर्ति के तौर शासन नगरीय निकायों को राशि देता है। यह पैसा निकायों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इससे अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का भुगतान किया जाता है।

दो साल पहले शुरू हुआ कटौती का सिलसिला

प्रदेश में करीब चार साल पहले तक नगरीय निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति की पूरी राशि दी जाती थी। कांग्रेस के शासन में कम राशि दी जाने लगी। इस बीच अधिकांश नगरीय निकायों पर बिजली का काफी बकाया हो गया। इसका समय पर भुगतान नहीं कर पा रहे थे।इस वजह से निकाय के कार्यालयों, स्ट्रीट लाइट्स की बिजली बंद कर दी जा रही थी। इसके मद्देनजर वित्त विभाग ने दो साल पहले निकायों को दी जाने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कटौती करना शुरू कर दिया।

भोपाल , इंदौर जैसे बड़े शहरों से सात से 12 करोड़ रुपए की कटौती होने लगी। स्थिति यह है कि दिसंबर, 2021 से मार्च 2023 के दौरान चुंगी क्षतिपूर्ति से 441.33 करोड़ रुपए काटा जा चुका है। इसके अलावा हाल में निकायों का 75 करोड़ रुपए काटा गया है। इसमें इंदौर का 12.61 करोड़ और भोपाल का 7.21 करोड़ रुपए शामिल है। हालांकि, कंपनियों को राशि देने के बाद भी भोपाल व अन्य निकायों की स्ट्रीट लाइट्स बंद की जा रही हैं।

निकायों की आपत्ति, कितना बकाया है पूछना तो चाहिए

चुंगी की राशि में लगातार कटौती से परेशान कुछ निकायों ने नगरीय प्रशासन संचालनालय को पत्र लिख कर आपत्ति जताई है। इसमें कहा है कि वास्तविक बकाया कितना है, यह निकाय से पूछा जाना चाहिए। बिजली कंपनी की बिलिंग के आधार पर कटौती क्यों की जा रही है। यह भी कहा है कि बिजली कंपनी से निकायों को टैक्स के तौर पर राशि लेना है। बिजली के बिल से इसे एडजस्ट क्यों नहीं किया जा रहा है। इधर, नगरीय प्रशासन संचालनालय के अफसर भी वित्त विभाग की सीधी कटौती से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि वित्त को बकाया डिमांड संचालनालय को भेजना चाहिए। फिर यहां से परीक्षण के बाद राशि काट कर बिजली कंपनी को दी जाना चाहिए।

भोपाल में बिगड़े हालात

चुंगी क्षतिपूर्ति लगातार कम मिलने से भोपाल नगर निगम की स्थिति गड़बड़ा गई है। कुछ वर्ष पहले तक लगभग 25 करोड़ रुपए मिलता था। अब 16-17 करोड़ ही दिया जा रहा है। इसका असर यह हुआ है कि निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों को हर महीने 20 तारीख के बाद ही वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसकी व्यवस्था करने के लिए भी निगम प्रशासन मशक्कत करना पड़ रही है। ऐसा ही हाल कई निकायों का है।

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