अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति को नमन
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति को नमन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना।

राज एक्सप्रेस। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (08 मार्च) पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। साथ अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में महिलाओं और बेटियों के लिए किये गए कार्यों को बताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से छोटा-सा योगदान करने का सौभाग्य मिला। यह मेरे लिए बड़े संतोष की बात है। ऐसी योजनाओं के सुखद परिणाम से मुझे आत्मिक सुख मिला। बेटियां साक्षर बनें, सशक्त बनें, यही कामना।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, हमारी संस्कृति में बेटियों का विवाह सबसे बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है। मैंने बेटियों के लिए विवाह योजना बनाई थी। जिससे गरीब परिवारों की हज़ारों बेटियां विदा हुईं। सिंह ने लिखा महिला दिवस हमेशा से मेरे लिए खास रहा है। मैं ग्रामीण परिवेश में पला-बढ़ा हूँ। बचपन से ही मैंने बेटे के लिये एक विशेष लगाव और बेटी के प्रति उदासीनता देखी है। मैंने इसी समय ठान लिया था कि इस स्थिति को बदलने में अपना सहयोग देना है।

पूर्व सीएम ने आगे कर लिखा, जब जनता ने मुझे चुनाव में चुनकर भेजा तो मैं बेटियों का सामूहिक विवाह करवाता था और जब मुख्यमंत्री बना तो हमने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई जिसके अंतर्गत गरीब बेटियों को जन्म से लेकर 21 वर्ष की आयु तक में लखपति बनाया जाता था। गरीब माँ-बाप का भी सपना होता है कि उनकी बिटिया के हाथ पीले हों, धूमधाम से शादी हो। इसे ध्यान में रखते हुए हमने प्रत्येक वर्ग की गरीब बेटियों के विवाह के लिए कन्या विवाह योजना, निकाह योजना बनाई जिसमें सारा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता था।

गरीब आदिवासी महिलाओं के जीवन में बदलाव लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। तेंदूपत्ता संग्राहक गरीब आदिवासी माताओं-बहनों को हमने साड़ी, चप्पल और पानी पीने की कुप्पी वितरित की थी ताकि उन्हें अपनी आजीविका चलाने में मदद मिल सके। बेटियाँ देश का कल हैं, उन्हें शिक्षित किया तभी देश तरक्की करेगा। मध्यप्रदेश में बेटियों को दूसरे गाँव पढ़ने जाने के लिए साइकिल दी गई, यूनिफॉर्म, किताबें दी गईं और मेधावी छात्राओं की उच्च शिक्षा की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठाती थी।

गरीब गर्भवती बेटियों को बच्चे के जन्म से पहले और बाद में कुल मिलाकर रु. 16,000 की सहायता राशि का प्रावधान किया था ताकि माता भी खुश रहे और बच्चा भी हँसते-मुस्कुराते हुए इस धरती पर आये। हमने मध्यप्रदेश में बेटियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हरसंभव प्रयास किये और यह प्रयास भविष्य में भी निरंतर जारी रहेंगे।

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