फल विक्रेताओं को कर्फ्यू में मिली छूट पर किसानों ने रखीं अपनी मांग
फल विक्रेताओं को कर्फ्यू में मिली छूट पर किसानों ने रखीं अपनी मांगGaurav Kapoor

फल विक्रेताओं को कर्फ्यू में मिली छूट पर किसानों ने रखीं अपनी मांग

खाचरौद प्रशासन ने आम जनों की स्वास्थ्य सेहत का ख्याल रखते हुए फल फ्रूट के व्यवसायियों को दोपहर 3 से 5 बजे तक व्यापार करने की छूट प्रदान की, परन्तु किसान की सब्जी, दूध डेयरी पर छूट क्यों नहीं दी ?

राजएक्सप्रेस। खाचरौद प्रशासन ने दो दिन की सख्ती के बाद कर्फ़्यू के तीसरे दिन शनिवार को अपनी व्यवस्था में आंशिक बदलाव किया है। जिसमें आम जनों के स्वास्थ्य सेहत का ख्याल रखते हुए फल फ्रूट के व्यवसायियों को दोपहर 3 से 5 बजे तक व्यापार करने की छूट प्रदान की है। शनिवार को शहर में शाम को गली मोहल्लों में फलफ्रूट की गाड़ियां भी दौड़ पड़ी छोटे-छोटे बच्चे भी फलफ्रूट बेचने निकल पड़े। जबकि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिये प्रशासन क्षेत्र में हर संभव प्रयास कर रहा है।

प्रशासन ने क्यों लिया कर्फ्यू का निर्णय :

प्रशासन ने एकाएक कर्फ्यू का निर्णय क्यों लिया उक्त खबर हम पूर्व में प्रकाशित कर चुके हैं। देश- प्रदेश और जिले के बिगड़ते हालात को देखकर प्रशासन संक्रमण के खतरे को भाप गया जिसके चलते किसी भी तरह की कोई रिस्क नहीं लेना का फैसला किया। प्रशासन बीते माह में बीते तीन दिनों मै और अधिक सख्त हुआ और पूरा लॉक डाउन कराया बीते माह में प्रशासन ने आखिर तक खाचरौद क्षेत्र में किसी व्यापारी पर कोई प्रशासकीय कार्रवाई नहीं की, समझाईश दी और छोटे से लेकर बड़ों को परिवार की तरह संभाले रखा घबराहट में लोगों ने बाजारों में स्थिति नियंत्रित करने पर सोशल मीडिया पर कार्रवाई के लिये मोर्चा खोला जिसके बाद ही प्रशासन एक्शन में आ गया और नगर हित मे कर्फ्यू का सख्त निर्णय लेने के लिये बाध्य हुआ चूंकि लक्ष्य एक ही था कोरोना से मुक्त हो हमारा शहर यदि आज तक खाचरौद शहर कोरोना संकट से सुरक्षित है, मुक्त है तो प्रशासन के प्रयासों में कोई कमी नहीं है प्रशासन की इच्छाशक्ति लॉक डाउन के लिये सख्ती काबिले तारीफ है। ईश्वर न करें कोई मामूली चूक हुई और संक्रमण खाचरौद में घुसा तो भी ठीकरा प्रशासन के मत्थे ही फूटेगा।

क्या प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील का निर्णय किसी दबाव में लिया?

इन सभी घटनाक्रम के बीच बात यह भी सामने आई है जो सोशल मीडिया पर चर्चाओं में है जिस पर तर्क वितर्क भी चल रहे हैं जिसमे प्रशासन पर आरोप के तहत माना जा रहा है कि प्रशासन ने वर्ग विशेष के दबाव में आकर फलफ्रूट व्यवसाय में 2 घंटे की छूट प्रदान की है। सबसे ज्यादा फलफ्रूट के व्यवसाय में वर्ग विशेष की दुकानें फलफ्रूट व्यवसाय से जुड़ी हैं। प्रशासन ने सबसे ज्यादा मांग वाली आवश्यक सामग्री किसान की सब्जी, दूध डेयरी पर छूट क्यों नहीं दी ? शहर में मटन शराब धड़ल्ले से चोरी छिपे बेची जा रही है लेकिन किराना नहीं मिल पा रहा है। भेदभाव के तरीके से एक वर्ग को खुश तो दूसरे को परेशानी मिल रही है। स्थानीय बुद्धिजीवी लोगों का कहना हैं कि स्थानीय प्रशासन ने फलफ्रूट में जो 2 घंटे की छूट दी है उस पर खाचरौद प्रशासन को इंदौर, उज्जैन और भोपाल जैसे अन्य शहरों की लापरवाहियों से सबक लेना चाहिये और उक्त फैसले के आने वाले परिणाम पर मंथन करना चाहिये ताकि नगर में संक्रमण का प्रवेश किसी भी रास्ते से न हो।

एसडीओपी अरविंद सिंह ने दूर की भ्रान्ति :

इसी मामले को लेकर एसडीओपी अरविंद सिंह से चर्चा की गई उन्होंने बताया कि "जिन हालातों में तीन दिन पहले कर्फ्यू लगाया था उससे बहुत कुछ कंट्रोल में आया है शहरवासियों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। बाजारों की स्थिति से सोशल मीडिया प्रेस नेता प्रशासन को कोस रहे थे। उच्च अधिकारियों से चर्चा उपरांत हमने कर्फ़्यू की सख्ती की, उसके पीछे एक ही कारण था खाचरौद शहर कोरोना संक्रमण से मुक्त रहे। फलफ्रूट के व्यापार में 2 घंटे की छूट दी गई है। दोपहर 3 से 5 तक ये छूट दी गई है जो किसी वर्गविशेष के लिये या किसी धर्म विशेष के लिये नहीं है। फलफ्रूट किसी भी धर्म का व्यक्ति बेचने के लिये स्वतंत्र हैं कोई रोक नहीं है इस दौरान भी सतत निगरानी रखी जा रही है नियमों को तोड़ने पर सख्त कार्रवाई भी की जायेगी ये निर्णय प्रत्येक शहरवासी के लिये है।"

उन्होंने अपनी बात को पूरी करते हुए आगे बताया कि "फलफ्रूट का सेवन सभी धर्म के लोग करते हैं जिसे धर्म से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। फ्रूट्स इम्युनिटी को बेहतर बनाते हैं सुरक्षा की दृष्टि एवं संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों में शहरवासियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है परीक्षण के बाद सब्जी को भी विक्रय करने की छूट प्रदान की जायेगी। जनता के लिये जो बेहतर होगा वो करेंगे।"

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