के. के. मिश्रा का सरकार से सवाल
के. के. मिश्रा का सरकार से सवालSocial Media

सरकार बताए कितने माफिया जेल गए : के. के. मिश्रा

भोपाल, मध्यप्रदेश : कमलनाथ सरकार में जो माफिया प्रदेश से पलायन कर गए थे, वे आज सरकार के अघोषित ओएसडी बने!

भोपाल, मध्यप्रदेश। कमलनाथ सरकार में विभिन्न किस्म के जो भयभीत माफिया प्रदेश से पलायन कर गए थे, वे आज सरकार, मंत्रियों के अघोषित ओएसडी बन उन्हें संचालित कर रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश अपराधियों का अभयारण्य बन गया है, कानून व्यवस्था चौपट है और माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं! यह आरोप प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने लगाए हैं। साथ ही उन्होंने ऐसे कितने माफियाओं पर सरकार ने कार्रवाई की यह भी बताने की मांग की है।

श्री मिश्रा ने चंबल इलाके में रेत माफियाओं के खिलाफ मात्र 94 दिनों में 15 हमले सहने वाली आयरन लेडी एसडीओ (वन) श्रद्धा पांढरे के रेत माफियाओं के दबाव में किए गए तबादले के उल्लेख करते हुए कहा कि यह या ऐसे अन्य तबादला व निलम्बन आदेश जहां ईमानदार कर्मचारियों और अधिकारियों के मनोबल तोड़ रहे हैं, वहीं यह साबित कर रहे हैं कि सरकार माफियाओं के समक्ष समर्पण कर चुकी है! उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था अपराधी, माफिया प्रदेश छोड़ दें, उन्हें 10 फीट गड्ढों में गाड़ दूंगा या वे जेल के सींखचों में होंगे, यही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि रेत का अवैध उत्खनन करने वाले वाहन भी राजसात होंगे, मुख्यमंत्री, आप बताएं इन घोषणाओं का कितना व क्या अमल हुआ।

श्री मिश्रा ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या यह झूठ है कि आपके कार्यकाल में पुलिस, एसएएफ, खनिज,वन विभाग के कर्मचारियों पर हमले, हत्या के दर्जनों प्रयास हुए, सरकार को यह सब दिखाई क्यों नहीं दे रहा, इन सब स्पष्ट व प्रामाणिक मामलों के दोषियों के खिलाफ क्या असरकारक व दिखाई देने वाली वैधानिक कार्यवाही हुई, कार्यवाही यदि हुई तो चम्बल एसडीओ श्रद्धा पांढरे, सीहोर की तत्कालीन निरीक्षक सुश्री पांडेय के खिलाफ जिसने एक प्रभावी परिवार के अवैध रेत से भरे डम्पर पकड़े, इंदौर जिले के महू में पदस्थ रेंजर आरएस पांडेय के खिलाफ निलम्बन जिन्होंने मंत्री उषा ठाकुर के समर्थक भाजपा नेता के खिलाफ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए नियमानुसार कारवाही की। श्री मिश्रा ने कहा यह बानगियां अपराधियों, माफियाओं के विरुद्ध सरकार के कथित संकल्पों व सांठगांठ को उजागर करने के लिए पर्याप्त हैं, जिसे लेकर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

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