फ्री में मिल रहे कलाकार, तो पैसा क्यों दें?
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ग्वालियर मेला : फ्री में मिल रहे कलाकार, तो पैसा क्यों दें?

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : स्थानीय कलाकरों को बिना मानदेय दिए ही बुलाया जा रहा है और संस्थाएं मेला का मंच पाने के लिए नि:शुल्क रूप से प्रस्तुति देने के लिए अपने आवेदन भी कर रही हैं।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। मेला में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में एक ओर जहां अखिल भारतीय स्तर के कवि सम्मेलन, मुशायरा व बॉलीवुड नाइट के आयोजन होते हैं, वहीं स्थानीय संस्थाओं द्वारा भी गीत संगीत और नाटक की प्रस्तुति दी जाती है। राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में जहां मेला प्राधिकरण को लाखों का बजट खर्च करना होता है, वहीं स्थानीय स्तर के कलाकार बहुत कम बजट के मिल जाते थे, लेकिन अब स्थानीय कलाकरों को बिना मानदेय दिए ही बुलाया जा रहा है और संस्थाएं मेला का मंच पाने के लिए नि:शुल्क रूप से प्रस्तुति देने के लिए अपने आवेदन भी कर रही हैं।

मेला प्राधिकरण को जितनी माथापच्ची बड़े आयोजनों को लेकर नहीं करनी पड़ती थी, उससे ज्यादा मशक्कत स्थानीय कार्यक्रमों के लिए करनी पड़ती थी। मेला के सांस्कृतिक कैलेंडर में जगह पाने के लिए प्राधिकरण के पास बड़े स्तर की सिफारिशें आती थीं, जिससे स्थानीय कार्यक्रमों का चयन प्राधिकरण के लिए सिरदर्द बन जाता था। मेला प्राधिकरण ने इस समस्या से निजात पाने की एक युक्ति सोची। और आदेवन करने वाली सामाजिक संस्थाओं से कहा कि यदि आप समाजसेवा कर रहे तो तो मेला में नि:शुल्क प्रस्तुति दें। मेला की यह युक्ति काम कर गई। मेला का प्रतिष्ठित मंच पाने के लिए शहर की संस्थाएं फ्री कार्यक्रम करने को राजी हो गईं। इससे मेला प्राधिकरण को एक ओर राजस्व का फायदा हुआ है, वहीं अब मेला में वही संस्थाएं आ रही हैं जिनका उद्देश्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों से धन कमाना नहीं बल्कि प्रतिभाओं को मंच देना है।

इनका कहना है :

हमारी कोशिश है कि मेला के सांस्कृतिक मंच पर अधिक से अधिक स्थानीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाए और हमें खुशी है कि स्थानीय कलाकारों द्वारा मेला में प्रस्तुति देने के लिए भारी उत्साह देखा जा रहा है।

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