ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर के मंदिर एवं रेलवे स्टेशन के बाद कई लोग खुले आसमान के नीचे सोते हैं। यह कई सालों से यहां रह रहे हैं इसलिए यह दूसरी जगह नहीं जाना चाहते। कई बार नगर निगम एवं पुलिस सर्दी से बचाने के लिए खुले में सो रहे लोगों को रैन बसेरा भेज चुकी है लेकिन यह लोग वापस अपनी जगह आ जाते हैं। नगर निगम द्वारा पिछले चार दिनों में 190 लोगों को रैन बसेरा भेजा जा चुका है लेकिन यह फिर वापस अपनी जगह पर पहुंच जाते हैं। इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकल पा रहा है।ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर के मंदिर एवं रेलवे स्टेशन के बाद कई लोग खुले आसमान के नीचे सोते हैं। यह कई सालों से यहां रह रहे हैं इसलिए यह दूसरी जगह नहीं जाना चाहते। कई बार नगर निगम एवं पुलिस सर्दी से बचाने के लिए खुले में सो रहे लोगों को रैन बसेरा भेज चुकी है लेकिन यह लोग वापस अपनी जगह आ जाते हैं। नगर निगम द्वारा पिछले चार दिनों में 190 लोगों को रैन बसेरा भेजा जा चुका है लेकिन यह फिर वापस अपनी जगह पर पहुंच जाते हैं। इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकल पा रहा है।
नगर निगम द्वारा खुले आसमान के नीचे सोने वालों को रेन बसेरे में पहुंचाने का अभियान चलाया जा रहा है। निगम अमला चार दिन से प्रतिदिन लोगों को उठाकर रैन बसेरे भेज रहा है लेकिन यह वापस अपनी जगह पहुंच जाते हैं। रात में जब वाहन मौके पर पहुंचता है तो वही लोग खुले में सोते मिलते हैं। इन्हें फिर से उठाकर रैन बसेरा भेज दिया जाता है। कई बार यह लोग लडऩे पर उतारू हो जाते हैं। इनका कहना होता है कि रैन बसेरे में सुविधाएं नहीं मिलती। हमें खुले में सोने की आदत है, बंद कमरे में घुटन होती है सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है। इन लोगों के ऐसे बहाने सुन-सुनकर कर्मचारी परेशान हो गए हैं। चूंकि 7 फरवरी को मुख्यमंत्री शहर में आ रहे हैं इसलिए यह अभियान निरंतर ऐसे में चलाया जाता रहेगा। लेकिन इस समस्या का स्थाई हल क्या है इस पर अधिकारियों को बैठकर निर्णय लेना होगा।
लगातार जाने से पड़ जायेगी आदत :
इंदौर में वृद्धों के साथ हुई घटना के बाद से मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलेक्टरों को निराश्रित लोगों की चिंता करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद संभागायुक्त आशीष सक्सेना, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह की पहल पर निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा दो वाहनों की ड्यूटी ऐसे लोगों को रैन बसेरे में भेजने पर लगाई। प्रतिदिन दो वाहन शहर के विभिन्न स्थलों पर पहुंचकर खुले में सोने वाले लोगों को रैन बेसरा पहुंचा रहे हैं। कुछ लोगों को अब रैन बसेरे में सोने की आदत पड़ गई है लेकिन अधिकतर अभी भी खुले में सोने की बात कहते हैं। अधिकारियों का मानना है कि लगातार रैन बसेरे में रहने पर इनकी आदत बदल जायेगी।
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