पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने से कतरा रहा जेयू प्रबंधन
पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने से कतरा रहा जेयू प्रबंधनManish Sharma

Gwalior : 436 सीटें खाली फिर भी पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने से कतरा रहा जेयू प्रबंधन

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : जुलाई में होनी थी प्रवेश परीक्षा, आधा दिसम्बर निकल गया अभी तक नहीं हुई परीक्षा। ऑनलाइन परीक्षा कराने की चल रही है तैयारी, इस वजह से हो रही देरी।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीवाजी विश्वविद्यालय में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की 436 सीटें खाली पड़ी हैं। इन सीटों पर विद्यार्थियों को प्रवेश देने के लिए प्रवेश परीक्षा जुलाई-अगस्त में होनी थी। लेकिन, अभी तक सिर्फ परीक्षा कराने की तैयारी चल रही हैं। प्रवेश परीक्षा में देरी होने का कारण जेयू प्रबंधन ऑनलाइन सिस्टम को बता रहा है। प्रबंधन का कहना है कि यदि जनवरी तक ऑनलाइन स्लॉट खाली नहीं मिलता तो हम परीक्षा ऑफलाइन पद्धति से कराएंगे।

जेयू से दिसंबर 2021 तक 119 पीएचडी अवार्ड हुई हैं। अगस्त 2022 तक 260 पीएचडी अवार्ड हो चुकी हैं। इन विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्र जमा कर दिए थे, जिसके चलते पीएचडी अवार्ड हो गईं। जेयू ने प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहले गाइडों से ही जानकारी मांगी थी। जिससे नए शोधार्थी आ सकें। सभी गाइडों ने जानकारी नहीं दी। फिर विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर रिक्त सीटों की जानकारी एकत्रित की, अब परीक्षा कराने की तैयारी चल रही है।

यहां बता दें कि जेयू से पीएचडी करने में 42 हजार रुपये का खर्च आता है। इस वजह से विद्यार्थियों की पहली पसंद भी यह है। यदि विद्यार्थी चार साल में अपना शोध पत्र जमा कर देता है तो उसकी पीएचडी पूरी हो जाती है। लगभग 42 विषयों में पीएचडी होती है। गाइडों ने 436 सीटें खाली बताई हैं। जबकि जेयू के पास 650 गाइड हैं। जनवरी 2023 में 436 सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा होने की संभावना है।

ऑनलाइन परीक्षा कराने की वजह से हो रही देरी :

जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रवेश समिति के चेयरमैन प्रो.एसके द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2020-21 में टीसीएस के माध्यम से पीएचडी प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन आयोजित कराई गई थी। लेकिन, इस बार टीसीएस का सेंटर ग्वालियर से खत्म हो गया है। इस वजह से परीक्षा आयोजित कराने में देरी हो रही है। हम ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराने के लिए दूसरा विकल्प या कहें कि दूसरी कम्पनी को तलाश रहे हैं। यदि कोई कम्पनी परीक्षा आयोजित कराने के लिए तैयारी नहीं होगी या नहीं मिलेगी तो हम फिर ऑफलाइन परीक्षा कराएंगे।

कौन सा गाइड कितनी करा सकता है पीएचडी :

  • प्रोफेसर 8 पीएचडी करा सकते है।

  • एसोसिएट प्रोफेसर 6 पीएचडी करा सकते है।

  • असिस्टेंट प्रोफेसर 4 पीएचडी करा सकते है।

वर्तमान में 2500 से अधिक अधिक विद्यार्थी शोध कर रहे हैं।

प्रवेश परीक्षा में देरी होने का एक कारण यह भी है:

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) प्रवेश परीक्षा को लेकर कई महीनों से तक यह असमंजस रहा कि यूजीसी देश के शोधार्थियों के लिए एक कॉमन एग्जाम करायेगा। लेकिन, यूजीसी की गत महीने पूर्व जारी हुई गाईडलाइन से स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर ही पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित करानी है। उसके बाद जेयू अधिकारियों ने परीक्षा की तैयारी की। इस वजह से भी परीक्षा आयोजित होने में देरी हुई है।

वर्ष में दो बार करा सकते हैं प्रवेश परीक्षा :

यूजीसी की गाईडलाइन के अनुसार यदि विश्वविद्यालय में पीएचडी की सीटें खाली है तो विश्वविद्यालय वर्ष में दो बार परीक्षा करा सकता है। यदि नहीं है तो जब तक सीटे खाली नहीं होती प्रवेश परीक्षा नहीं होगी।

इसलिए बच रहे ऑफलाइन परीक्षा कराने से :

जेयू विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर ऑफलाइन परीक्षा आयोजित कराने में लेन-देन के आरोप लगते रहे हैं। जबकि गत वर्ष ऑनलाइन हुई परीक्षा में यह आरोप नहीं लगे थे। इस वजह से जेयू अफसर विवादों से बचने के लिए ऑनलाइन परीक्षा कराने के मूड में हैं।

इनका कहना है :

पीएचड प्रवेश परीक्षा हम संभवत: जनवरी में आयोजित करा देंगे। परीक्षा कराने की तैयारी हमने पूरी कर ली हैं। यहां तक है परीक्षा ऑनलाइन ही होगी। यदि ऑनलाइन का विकल्प नहीं मिलेगा जब ऑफलाइन का रास्ता अपनायेंगे।

प्रो. एसके द्विवेदी, चेयर प्रवेश समिति, जीवाजी विश्वविद्यालय

यूजीसी की अभी नई गाइडलाइन जारी हुई है। उसके मुताबिक 62 वर्ष से अधिक उम्र के लोग गाइड नहीं बन सकते हैं। इसलिए अब सीटों की स्कूटनी की जा रही है। प्रवेश परीक्षा जल्द से जल्द आयोजित कराने के लिए हम कुलपति से बात करेंगे। साथ ही एक कैलेंडर बनवायेंगे जिससे समय पर सारे काम हों।

डॉ. विवेक सिंह भदौरिया, कार्यपरिषद सदस्य, जीवाजी विश्वविद्यालय

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