बजट के अभाव में बंद करना पड़ी मरीजों को शिफ्ट करने वाली एम्बुलेंस
बजट के अभाव में बंद करना पड़ी मरीजों को शिफ्ट करने वाली एम्बुलेंसRaj Express

Gwalior : बजट के अभाव में बंद करना पड़ी मरीजों को शिफ्ट करने वाली एम्बुलेंस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : पेट्रोल-डीजल मद में शासन स्तर से नहीं आया बजट, इसलिए खड़ी हुई परेशानी। अधीक्षक ने डीन असहयोग का आरोप लगाते हुए लिखा था पत्र।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीआर मेडिकल कॉलेज अधिष्ठाता डॉ.समीर गुप्ता और जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ के बीच आपसी तालमेल ठीक नहीं है। इसका नतीजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। मरीजों को एक भवन से दूसरे भवन में शिफ्ट करने वाली एम्बुलेंस सहित अन्य वाहनों को पेट्रोल-डीजल के अभाव में बंद करना पड़ा है। इस पर अधीक्षक का आरोप है कि डीन कार्यालय द्वारा सहयोग नहीं करने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि डीन का कहना है पूर्ण सहयोग किया जा रहा है।

जयारोग्य अस्पताल सहित अन्य विभागों में आने वाले मरीजों को एक भवन से दूसरे भवन तक अस्पताल की एम्बुलेंस द्वारा ही शिफ्ट किया जाता है। लेकिन कुछ दिनों से अस्पताल में आने वाले मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि इन एम्बुलेंसों को पेट्रोल-डीजल के अभाव में बंद करना पड़ा है। इस वजह से अब मरीजों के परिजन अपने मरीज को स्ट्रेचर खींचकर या किराए की एम्बुलेंस लाकर एक भवन से दूसरे भवन में शिफ्ट कर रहे हैं। इसमें सबसे अधिक परेशानी का सामना ऐसे मरीजों या उनके परिजनों को करना पड़ रहा है, जिनके साथ अटेण्डर नहीं होते। हालांकि मरीजों की इस समस्या को लेकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ चिकित्सा शिक्षा आयुक्त, संचालक चिकित्सा शिक्षा और संभागायुक्त को पत्र लिख चुके हैं। पत्र लिखने के 13 दिन बाद भी मरीजों के लिए यह सुविधा पुन: शुरू नहीं हो सकी है।

यह लिखा था पत्र :

जेएएच अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने पत्र में लिखा था कि पेट्रोल एवं डीजल मद में शासन स्तर से समय पर बजट प्राप्त न होने के कारण विगत वर्ष कई बार अधिष्ठाता कार्यालय को लंबित पेट्रोल एवं डीजल देयकों के भुगतान पत्राचार किया गया एवं नोटशीट प्रस्तुत की गई, लेकिन अधिष्ठाता कार्यालय द्वारा लंबित बिलों के भुगतान हेतु राशि प्रदान न करते हुए सिर्फ उक्त राशि का 1/5 भाग ही प्रदान किया गया। जिसके कारण पेट्रोल एवं डीजल प्रदायकर्ता फर्म द्वारा पेट्रोल एवं डीजल देने से मना कर दिया गया। जिसके कारण चिकित्सालय में संचालित एम्बुलेंस वाहनों एवं अन्य वाहनों को पूर्ण रूप से बंद करना पड़ा एवं चिकित्सालय के एक भवन से दूसरे भवन तक मरीजों को शिफ्ट करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। तथा मरीजों को प्राईवेट एम्बुलेंसों को उच्च दरों पर उपयोग किए जाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।

वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर खड़ी हैं एम्बुलेंस :

पेट्रोल एवं डीजल ना होने के कारण एम्बुलेसों को वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर खड़ा कर दिया है। वहीं सभी एम्बुलेंस खड़ी हुई हैं। अब प्रबंधन को इंतजार है कि शासन स्तर से पेट्रोल-डीजल वाले मद में बजट आ जाए तो एम्बुलेंस सेवा पुन: बहाल हो जाए। लेकिन अभी यह कहना संभव नहीं कि कब तक बजट आएगा।

पत्र के बाद भी शुरू नहीं हुई एम्बुलेंस सेवा :

जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ ने 7 जून को पत्र लिखा था। पत्र लिखे हुए 13 दिन बीत गए हैं। उसके बाद भी एम्बुलेंस सेवा बहाल नहीं हो सकी है। इस कारण अभी भी मरीज और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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