एक हजार बिस्तर अस्पताल के नाम को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर एक हजार बिस्तर के अस्पताल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की मांग की है।
विवेकद शेजवलकर ने मुक्यमंत्री को लिखा पत्र
विवेकद शेजवलकर ने मुक्यमंत्री को लिखा पत्रSocial Media

हाइलाइट्स :

  • सांसद के पत्र पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति

  • नामकरण को लेकर डॉक्टर्स की भी अलग-अलग राय

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। एक हजार बिस्तर का अस्पताल निर्माण से पहले ही विवादों में आ गया है। विवाद का कारण है ग्वालियर सांसद का वो पत्र जो उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा है। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर एक हजार बिस्तर के अस्पताल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की मांग की है। सांसद के पत्र पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस का कहना है कि अस्पताल का नाम पहले ही माधव राव सिंधिया के नाम पर रखना तय हो गया है, लेकिन बड़ी बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल से जुड़े नाम पर अनभिज्ञता जता रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स में भी नाम को लेकर अलग-अलग राय है।

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने दो दिन पहले 19 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर एक हजार बिस्तर वाले निर्माणाधीन अस्पताल को लेकर एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने लिखा था कोरोना की संभावित तीसरी लहर से सफलतापूर्वक मुकाबला करने की तैयारी की दृष्टि से शीघ्र ही यहां 500 बिस्तर तैयार किये जाने की योजना है। 15 जुलाई को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस हेतु प्रशासन को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं।

यहां बता दें कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब 5 मार्च 2019 को उन्होंने भाजपा के विरोध के बीच एक हजार बिस्तर के अस्पताल के निर्माण कार्य का शुभारम्भ किया था । इसी दौरान घोषणा की गई थी कि एक हजार बिस्तर के इस अस्पताल का नाम स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के नाम पर रखा जाएगा। इतना ही नहीं निर्माण एजेंसी के दस्तावेजों में भी इसी नाम का प्रयोग किया जा रहा है। मामला गरमाने के बाद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि एक हजार बिस्तर के अस्पताल का शिल्लान्यास भाजपा सरकार में ही किया गया था इसका कोई नाम रखा गया है ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है। उधर ग्वालियर के प्रशासनिक अधिकारी भी अस्पताल का कोई नाम रख लिए जाने से अनिभिज्ञता जता रहे हैं।

पत्र में यह लिखा था सांसद शेजवलकर ने :

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने पत्र में लिखा था कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनसंघ की स्थापना ग्वालियर से ही हुई है हमारे प्रेरणास्रोत स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रवास भी उस समय ग्वालियर हुआ था। ग्वालियर के निर्माणाधीन एक हजार बिस्तर वाले अस्पताल का नामकरण यदि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर किया जाता है तो हम सब के लिए गर्व की बात भी होगी और उस महान राष्ट्र नेता के लिए के लिए हम ग्वालियरवासियों की श्रद्धांजलि भी होगी। सांसद ने आगे लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ग्वालियर को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सौगात दी है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में इस नव निर्मित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने कोविड अस्पताल के रुप में ग्वालियर चम्बल अंचल के पीड़ितों के उपचार में प्रमुख भूमिका निभाई है। इस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का नामकरण ग्वालियर के सपूत भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हो यह हम सब ग्वालियरवासियों के लिए गौरव की बात होगी।

विवेकद शेजवलकर का पत्र
विवेकद शेजवलकर का पत्रManish Sharma

सांसद के पत्र विधायक ने जताई आपत्ति :

एक हजार बिस्तर के अस्पताल के नामकरण के लिए सांसद की मांग पर कांग्रेस ने विधायक ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जब इस अस्पताल के लिए राशि स्वीकृत की थी तो माधवराव सिंधिया अस्पताल के नाम से ही की थी। उन्होंने कहा कि राशि जारी कराने के लिए उन्होंने भी प्रयास किये थे।

डॉक्टर्स की भी अलग-अलग राय :

जयारोग अस्पताल में पदस्थ नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डी.के. शाक्य का मानना है कि एक हजार बिस्तर के अस्पताल के नाम के लिए कई राजनेताओं के नाम सुझाये जा रहे हैं। मेरा विचार है कि इन सभी राजनेताओं जिनके नाम के सुझाव दिए गए हैं उन सभी का कद बहुत बड़ा है एवं उनके नाम पर सैकड़ों चीजों के नाम है । लिहाजा बनने वाले एक हजार बिस्तर वाले अस्पताल का नाम एक हजार बिस्तर जयारोग्य हॉस्पीटल ही रहने दिया जाए। फिर भी यदि नाम बदलना इतना ही आवश्यक है तो क्यों न हमारे चिकित्सक डॉ. भगवत सहाय प्रथम डीन के नाम पर रखा जाए। यदि ऐसा होता है तो हम सभी के लिए गौरव की बात होगी।

एनेथिस्यिा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दलीप कोठारी का मानना है कि यह बहस बेकार है। पहले से ही इस अस्पताल का नाम जयारोग्य चिकित्सालय समूह है। इसलिए अगल नाम की जरूरत कहां है? अलग- अलग बिल्डिंग के नाम पहले से ही है। फिर भी कुछ भी नाम रख लो कहलायेगा पत्थर वाली बिल्डिंग और कमलाराजा अस्पताल ही।

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