जीवाजी विश्वविद्यालय ही करवाएगा पीएचडी प्रवेश परीक्षा
जीवाजी विश्वविद्यालय ही करवाएगा पीएचडी प्रवेश परीक्षाManish Sharma

असमंजस खत्म : जीवाजी विश्वविद्यालय ही करवाएगा पीएचडी प्रवेश परीक्षा

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : चार साल का यूजी व एक साल के पीजी के बाद पात्र होंगे विद्यार्थी। पुरानी शिक्षा नीति में छात्रों के लिए वही पुराने नियम, यूजीसी की नई गाइडलानइ जारी।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) प्रवेश परीक्षा को लेकर कई महीनों से चला आ रहा असमंजस खत्म हो गया है। यूजीसी द्वारा जारी गाईडलाइन में यह साफ हो गया है कि विश्वविद्यालय अपने स्तर पर ही प्रवेश परीक्षा आयोजित करवायेंगे। पहले कहा था यूजीसी देश के शोधार्थियों के लिए एक कॉमन एग्जाम करवाने की तैयारी में है, लेकिन इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। नई गाईडलाइन में कहा गया है कि जो छात्र नई शिक्षा नीति से पढ़ाई कर रहे हैं, वे चार साल के ग्रेजुएशन के बाद (चौथे साल 75 फीसदी अंक लाना जरूरी) अगर एक साल का पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) करते हैं तो भी पीएचडी प्रवेश परीक्षाा के लिए पात्र माने जायेंगे। उन्हें एक साल के पीजी कोर्स में 55 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद इसे लेकर कवायद चल रही थी। प्रदेश में छात्रों को इसका फायदा 2025 में ही मिल जाएगा।

यूजीसी की नई गाईडलाइन के अनुसार शोधार्थियों को छह साल में पीएचडी पूरी करनी होगी। इसमें छह माह के कोर्स वर्क की अवधि भी शामिल है।अवश्यकता पड़ने पर या उचित कारण बताकर शोधार्थी विश्वविद्यालय के कुलपति से दो साल का अतिरिक्त समय भी ले सकते हैं। यानी जो शोधार्थी आठ साल में पीएचडी नहीं कर पायेंगे, वे अयोग्य माने जायेंगे। वहीं महिल शोधार्थियों के लिए चार माह का अतिरिक्त समय रहेगा। इसके साथ ही यूजीसी ने अपनी गाईडलाइन में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गेट व जेआरएफ क्लीयर करने वाले छात्रों को प्रवेश परीक्षा में छूट दी जाएगी। इनके इन्टरव्यू भी अलग से आयोजित होंगे। संबंधित विश्वविद्यालय अलग से इन्टरव्यू ले सकेंगे।

यूजीसी की नई गाइडलाइन हुई जारी :

  • 55 फीसदी अंक एक साल के पीजी में लाना अनिवार्य।

  • 4 साल का अतिरिक्त समय महिला शोधार्थियों को मिलेगा।

  • 2 साल का अतिरिक्त समय छात्रों को मिलेगा।

  • 8 साल में कोर्स नहीं करने वाले अयोग्य माने जाएंगे।

प्रवेश परीक्षा का रास्ता हुआ साफ :

यूजीसी की नई गाइडलाइन आने के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रवेश परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है। उप कुलसचिव अरूण सिंह चौहान का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइन आने के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि परीक्षा विवि को ही आयोजित करना है। नई गाइडलाइन को हम स्टेंडिंग कमेटी में रखेंगे और संभवत: दिसम्बर में पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का प्रयास करेंगे।

जेयू में 750 सीटें खाली :

जेयू के पास 650 से अधिक गाइड हैं। वर्तमान स्थिति में 750 सीटें खाली हैं। पीएचडी एंट्रेंस को लेकर प्रवेश समिति की बैठक में गाइडों द्वारा रिक्त सीटों की जानकारी नहीं देने का मामला उठा था, तय हुआ था कि संकायाध्यक्षों के माध्यम से रिक्त सीटों की जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसके लिए कुलसचिव ने संकायाध्यक्षों को 18 जुलाई को पत्र जारी करके सात दिन के अंदर जानकारी मांगी थी। कई संकायाध्यक्षों ने जानकारी दे दी है। जानकारी के अनुसार कई संकायाध्यक्षों ने यह भी कहा है कि जो गाइड सीटों की जानकारी नहीं दे रहे हैं, उन्हें गाइड नहीं माना जाए।

कौन कितनी पीएचडी करा सकता है :

  • प्रोफेसर - 8

  • एसोसियेट प्रोफेसर - 6

  • असिस्टेंट प्रोफेसर - 4

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