यह है विकास का नजारा
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Gwalior : डेढ़ साल से पानी लीकेज बंद नहीं कर सके इंजीनियर

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : कई बार कर्मचारियों ने काम किया पर लाइन लीकेज बंद नहीं कर सके। इंजीनियरों की टीम फिर भी एक पॉइन्ट नहीं सुधरा, कैसे होगा विकास।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर के विकास के कई दावे किए जाते है, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही है। नगर निगम, पीएचई सहित तमाम विभागो में इंजीनियरों की टीम रखी हुई है ताकि तकनीकि काम सही तरीके से हो सके, लेकिन इंजीनियरों की हालत यह है कि पानी लीकेज के एक पॉइन्ट को वह पिछले डेढ़ साल से बंद नहीं कर सके है। ऐसे में प्रतिदिन हजारों लीटर पानी तो बर्बाद हो ही रहा है साथ ही आम रास्त मे गड्ढा खुद जाने से किसी के भी दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।

वैसे तो शहर के अंदर सीवर से लेकर सड़कों तक समस्या बनी हुई है और गर्मी के मौसम में पानी का संकट भी लोगो को खासा परेशान करता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कई बार नेताजी अधिकारियों को आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन हालात बदलती दिख नहीं रही है। उप नगर ग्वालियर में तो गंदे पानी की समस्या इस कदर बनी हुई है कि इसी मुद्दे को उठाकर विधायक से मंत्री बन गए और अभी भी मंत्री रहते वह अधिकारियों को गंदा पानी आने पर फटकार भी लगा रहे है, लेेकिन उस फटकार का असर अधिकारियों पर दिखाई नहीं दे रहा है। यही कारण है कि गंदे पानी की समस्या के आगे मंत्री से लेकर अधिकारी तक ने अपनी हार मान ली है और इसको लेकर कांग्रेस आंदोलित हो रही है और मंत्री से सवाल भी कर रही है कि अब बताओ गंदा पानी क्यों आना बंद नहीं हो पा रहा है। नगर निगम के अधिकारियो का एक ही जवाब रहता है कि कहीं लाइन लीकेज होगी तो गंदा पानी आ जाता होगा, लेकिन सवाल यह है कि जब नगर निगम में इंजीनियरों की लम्बी फौज है तो फिर वह लीकेज को बंद करने क्यों सफल नहीं हो पा रहे और अगर लीकेज बंद तक नहीं कर पा रहे तो संबंधित इंजीनियरों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती।

एक लीकेज और लग गए डेढ़ साल फिर भी लीकेज जारी :

मांडरे की माता के पीछे न्यू विजय नगर कॉलोनी के लिए जाने वाले रास्ते पर पानी की लाइन में एक लीकेज पिछले डेढ़ साल से है। इस लीकेज को पहले ठीक कराया गया था और बाद में उस रास्ते पर सीसी रोड बनाई गई, लेकिन कुछ जिन बाद ही उसी स्थान से फिर पानी लीकेज होने लगा। अब हालात यह है कि दो दिन छोड़ कर वहां कर्मचारी लीकेज बंद करने के लिए आते हैं, लेकिन काम करने के बाद फिर लीकेज हो जाता है। लीकेज के कारण हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है जबकि एक बाल्टी पानी के लिए लोग परेशान हो रहे हैं। हालात यह है कि एक लीकेज को डेढ़ साल बाद भी बंद करने में अमला सफल नहीं हो सका तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर का विकास किस स्तर से और किस रफ्तार से हो रहा होगा।

पानी की बर्बादी के साथ दुर्घटना का अंदेशा :

लीकेज होने से पानी तो बर्बाद हो ही रहा है साथ ही वहां से निकलते समय दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। आयुर्वेदिक कॉलेज गेट के बगल से टर्न पॉइन्ट पर लीकेज सुधारने के लिए कई माह से गड्ढा खुदा हुआ है और ऐसे में मोड़ पर चार पहिया से लेकर दो पहिया वाहन तेज गति से निकलते है तो अचानक गड्ढे में जाने का खतरा बना रहता है। रात के समय तो वहां स्ट्रीट लाइट भी नहीं जलती जिसके कारण दुर्घटना का खतरा सबसे अधिक बना रहता है। यह लाइन तिघरा से आने वाले पानी के लिए डली हुई है, लेकिन उस पानी का उपयोग लोग नहीं कर पा रहे है, क्योंकि लीकेज होने से अगर पानी आता भी है तो वह काफी गंदा आता है, लेकिन निगम के तमाम इंजीनियरों को टीम भी उस लीकेज को बंद करने में पिछले डेढ़ साल से सफल नहीं हो सकी है।

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