तमाम प्रयास के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर विकास से अछूता क्यों
तमाम प्रयास के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर विकास से अछूता क्योंRaj Express

Gwalior : तमाम प्रयासों के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर विकास से अछूता क्यों

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : कई सालों से सड़कों की मांग पर नहीं हुआ काम। एक रास्ता ऐसा जिसमें पानी व कीचड़ से होकर जाने के लिए मजबूर।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर में जहां करोड़ो रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, वहीं ट्रांसपोर्ट नगर में स्थिति काफी बदहाल है और वहां पानी व कीचड़ से होकर लोगों को जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। शहर में कई सड़कें ऐसी है जहां आसानी से सफर किया जा सकता है, लेकिन इसके बाद भी उसे चमकाने का काम किया जा रहा है। जबकि कई सड़कें ऐसी है जहां सिर्फ नाम की सड़कें है पर वहां किसी भी तरह का काम नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण गड्ढों में से निकलकर हर रोज लोगों को झटके झेलने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

शहर की खूबसूरती उसकी सड़कों से परखी जाती है और बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति शहर में प्रवेश करते समय सड़को की स्थिति देखकर यह अंदाजा लगा लेता है कि शहर की स्थिति क्या है। अब ग्वालियर शहर की बात करें तो यहां सालों सड़़को को लेकर राजनीति होती रहती है, लेकिन इसके बाद भी सड़के गड्ढायुक्त बनी रहती है। ऐसा नहीं है कि शासन ने विकास के लिए पैसा नहीं दिया, लेकिन काम की गति इस कदर धीमी है कि मंत्री से लेकर संभागायुक्त तक कई बार संबंधित ठेकेदारो को टाइमलाइन बता चुके है, लेकिन लगता है कि उसका संबंधित ठेकेदार पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। थीम रोड़ जो स्मार्ट सिटी द्वारा बनवाई जा रही है उसकी हालत एक साल से भी अधिक समय से ऐसी ही बनी हुई है, क्योंकि कई बार इस सड़क को पूरा करने का समय निर्धारित किया जा चुका है पर अभी भी आमखो से कम्पू तक की सड़क खुदी पड़ी है और वही राजपायगा रोड भी एक तरफ की खुदी हुई है जो सफर के लिए मुश्किल तो पैदा कर ही रही हैए साथ ही दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। अब चलो यहां तो काम हो रहा है और सड़कें बनकर तैयार भी हो जाएगी भले ही देर हो जाएं पर ट्रांसपोर्ट नगर में तो स्थिति यह है कि वहां सड़क के नाम पर दलदल बना हुआ है और ट्रक चालकों व ट्रांसपोर्टरों को कीचड़ से होकर अपना रास्ता तय करना पड़ता है।

Shahid - REजीडीए ने नगर निगम को किया था सुपुर्द :

ट्रांसपोर्ट नगर शहर से बाहर इसलिए बनाया गया था ताकि भारी वाहनों को शहर के अंदर न आना पड़े और एक ही स्थान पर सामान उतारने से लेकर वाहन ठीक करने की व्यवस्था हो जाएं। जीडीए ने इसको बनया था तो उसके बाद से काम करने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई जिसके कारण हालत जो थे उससे भी बद्दतर हो गए है। वैसे जीडीए ने उसे नगर निगम के सुपुर्द कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी हालत में सुधार नहीं दिखाई दिया है।

रात को अंधकार, कीचड़ भरे रास्ते, फायर बिग्रेड की भी व्यवस्था नहीं :

ट्रांसपोर्ट नगर में शाम ढलते ही अंधकार छा जाता है, क्योकि यहां की स्ट्रीट लाइटे नहीं जलती। इसके साथ ही यहां ट्रांसपोर्टरों के गोदाम बने हुए हंएै जिनमें लाखो का सामान भरा रहता है। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई बार फायर बिग्रेड खड़ी करने की मांग की गई थी, लेकिन उनकी मांग पर कोई विचार नहीं किया गया है। रास्तों की बात करें तो वहां होकर जो भी आता है वह दूसरी बार जाने की हिम्मत नहीं कर सकता। कुछ साल पहले ट्रांसपोर्टरों ने आंदोलन किया थाए काफी दिनों तक धरना दिया था। इसके बाद कुछ सड़कों को बनाया गया था, लेकिन वह सड़कें कुछ माह में ही साथ छोड़ गई और अब हालात यह है कि अगर किसी ट्रांसपोर्टर के गोदाम में जाना है तो कीचड़ से होकर ही जाना पड़ेगा। समस्याओं को लेकर केन्द्रीय मंत्री से लेकर कई नेताओं एंव अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन उसके बाद भी इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके पीछे कारण यह है कि यहां का क्षेत्र कॉंमर्शियल है। इसके कारण किसी को वोट का लालच है नहीं इसलिए कोई ध्यान नहीं देता।

शहर में सैकड़ों करोड़ खर्च पर ट्रांसपोर्ट नगर मे गिट्टी भी नहीं :

शहर में बाहर से आने वाले ट्रक काफी संख्या में ट्रांसपोर्ट नगर पहुंचते हैं। ऐसे में उसके चालक दलदल देखकर चौक जाते है और स्थीनाय लोगों से पूछते है कि क्या ट्रक निकल जाएगा तो उनको जवाब मिलता है कि हम तो ऐसे ही निकल रहे हैं और ऐसे में टूटफूट का भी अंदेशा रहता है। ऐसे में ट्रक चालक दलदल में ट्रक फंसाने से बचते है और माल दूर उतारने के लिए मजबूर होते है। जिससे ट्रांसपोर्टरों को माल उठवाने में अलग से पैसे खर्च करना पड़ते है।

इनका कहना :

ट्रांसपोर्ट नगर में धूल- कीचड़ के साथ ही कई तरह की समस्याएं है। अगर कोई अधिकारी यहां आकर कुछ मिनिट ही खड़ा होकर देख ले तो उसे पता चल जाएगा कि ट्रांसपोर्टर किस स्थिति में यहां अपना व्यवसाय कर रहे है। समस्याओं को लेकर कई बार शिकायत अधिकारियो से लेकर मंत्रियो से की जा चुकी है, लेकिन लगता है कि किसी को यहां की कोई चिंता नहीं है। अब एक बार फिर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

अशोक सिंह कंसाना, अध्यक्षए ट्रक एसोशिएशन ग्वालियर

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