Gwalior : जेयू कुलपति बदलते ही बंद हो गई मेडिकल कॉलेज की फाईल
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीवाजी विश्वविद्यालय का स्वयं का मेडिकल कॉलेज हो। इसके लिए पूर्व कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने काफी प्रयास किए थे। उनके जाते ही यह फाईल अब ठण्डे बस्ते में पहुंच गई है। वर्तमान कुलपति प्रो.अविनाश शर्मा इसमें खासी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे अब मेडिकल कॉलेज खुलने की फाईल बंद सी दिखाई दे रही है।
जेयू की स्थापना के समय सरकार की ओर से करीब 300 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय को आवंटित की गई थी। बाद में जेयू की काफी जमीन हाई कोर्ट, टेनिस कोर्ट, हिन्दी साहित्य भवन, आदिम जाति कल्याण विभाग के लिए ले ली गई। जेयू ने मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कहते हुए प्रशासन से इसके बदले में जमीन मांगी। प्रशासन ने झांसी हाई-वे पर तुरारी में 17.45 एकड़ जमीन आवंटित कर दी। इसके लिए 28 करोड़ भूभाटक व प्रीमियम जमा करने का पत्र लिखा। करीब 300 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए जेयू प्रशासन ने केन्द्रीय मंत्री सिंधिया और तोमर से मेडिकल कॉलेज खोलने में सहयोग मांगा। केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जेयू की पहल पर अमल करने का आग्रह किया। लेकिन गत दिवस विश्वविद्यालय की ओर से भोपाल भेजी फाइल लौटकर नहीं आई और इधर कुलपति भी बदल गए तो जेयू में अब इसकी चर्चा बंद हो गई है। लोगों का कहना है कि हकीकत यह है कि मेडिकल कॉलेज की फाईल ही बंद हो गई है।
जमीन नहीं हुई नाम, भोपाल में अटकी हुई है फाइल :
पूर्व कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला का कार्यकाल खत्म होने वाला था। वह अपने कार्यकाल में ही मेडिकल कॉलेज की शुरूआत करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भेजे पत्र में उल्लेख किया था कि जेयू अपने संसाधनों से ही मेडिकल कॉलेज संचालित करेगा। जबकि सच्चाई यह है कि जेयू के पास इतना फंड है ही नहीं। इसलिए शासन ने आर्थिक मदद से हाथ खींच लिए। दूसरा पेंच जमीन का फंस गया। प्रशासन ने तुरारी में जमीन जेयू के बजाय उच्च शिक्षा विभाग के नाम कर दी है। इस पर मेडिकल कॉलेज संचालन की अनुमति देने वाली संस्था एनएमसी ने आपत्ति लगा दी। जेयू ने यह जमीन अपने नाम करने की फाइल उच्च शिक्षा विभाग को भेजी है जो अब तक लौटकर नहीं आई है।
कॉलेज खुलने से आय बढ़ती और छात्रों को लाभ मिलता :
जेयू ने अपनी आय बढ़ाने और अंचल के छात्रों को सुविधा देने के लिए मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना बनाई थी। इसमें एमबीबीएस के अलावा मेडिकल से जुड़े डिप्लोमा कोर्स संचालन का खाका तैयार किया। जेयू ने अपने परिसर में अपने खर्चे पर स्वास्थ्य केन्द्र भी संचालित किया है। इसमें मानदेय पर चिकित्सकों की सेवाएं ली हैं। इसे विस्तार देने की बात कहते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर के नाम से मेडिकल कॉलेज की जेयू की विद्या परिषद से भी मंजूरी ली गई। यह सारी कवायद तत्कालीन कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के कार्यकाल में हुई। लेकिन उनके जाने के बाद ही मामला खटाई में पड़ गया। इतना जरूर है कि यदि मेडिकल कॉलेज खुल जाता तो जेयू की आय बढ़ती और अंचल के छात्रों को इसका लाभ मिलता।
इनका कहना है :
ऐसा नहीं है कि मेडिकल कॉलेज की फाइल बंद हो गई है। चूंकि जिस स्थान पर मेडिकल कॉलेज बनना है। वह जमीन उच्च शिक्षा विभाग के नाम से आवंटित है। जब तक यह जेयू के नाम नहीं होगी तब तक आगे की प्रक्रिया नहीं हो सकती। इसलिए हमने जमीन जेयू के नाम कराने भोपाल फाइल भेजी है। अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई है। जैसे ही जमीन जेयू के नाम हो जाएगी। हम आगे की कार्रवाई शुरू कर देंगे।
डॉ. सुशील मंडेरिया, कुलसचिव, जीवाजी विश्वविद्यालय
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