उमा के विरोध को देख नई आबकारी नीति ठिठुरी
उमा के विरोध को देख नई आबकारी नीति ठिठुरीRaj Express

Gwalior : उमा के विरोध को देख नई आबकारी नीति ठिठुरी

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : शराब को लेकर बनने वाली नई आबकारी नीति को लेकर सरकार उमा भारती के विरोध के कारण पशोपेश में है। ऐसे में नई आबकारी नीति बनाते समय उसमें उमा भारती का दखल देखने को मिल सकता है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती द्वारा शराब बंदी को लेकर किए जा रहे विरोध को देखते हुए फिलहाल नई आबकारी नीति ठिठुर गई है और उस पर मंगलवार को मुहर लगना था, लेकिन जिस तरह के तेवर उमा दिखा रही हैं उसके कारण फिलहाल नीति पर मुहर नहीं लगी है। अब उमा के विरोध को ठंडा करने के लिए सरकार उन्हीं के कार्यकाल की नीति को जोड़कर नई आबकारी नीति बना सकती है। उसे जल्द ही जारी कर दिया जाएगा, जिसके कारण उस नई आबकारी नीति का विरोध करना उमा के लिए आसान नहीं होगा।

शराब को लेकर बनने वाली नई आबकारी नीति को लेकर सरकार उमा भारती के विरोध के कारण पशोपेश में है। ऐसे में नई आबकारी नीति बनाते समय उसमें उमा भारती का दखल देखने को मिल सकता है। सूत्रों ने बताया था कि नई नीति में मंदिर से शराब की दूरी को 500 मीटर किए जाने का प्रावधान रखा था, लेकिन इसके बाद भी उमा का विरोध लगातार जारी होने से नई आबकारी नीति को मंगलवार को जारी नहीं किया जा सका है। सरकार की परेशानी यह है कि अगर वह उमा भारती की मांग को मानती है तो प्रदेश को राजस्व का बड़े पैमाने पर नुकसान होगा और उसकी भरपाई का दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है। इसके कारण परेशानी यह आ रही है कि आखिर उमा के विरोध को शांत कर किस तरह से नई आबकारी नीति बनाई जाएं। वैसे भी चुनावी साल है जिसके कारण सरकार की उमा के विरोध के कारण किरकिरी हो सकती है।

विरोध को शांत करने नया तरीका निकाला :

सूत्रों का कहना है कि सरकार अब उमा भारती के मुख्यमंत्री कार्यकाल वर्ष 2003 -04 की शराब नीति को देख रही है और उसके तहत अब नई आबकारी नीति तैयार करने में उसी समय के प्रावधानों को जोड़ने का काम किया जा सकता है। उमा भारती के शासनकाल में शराब नीति के साथ पंचज यानी जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन के साथ आत्मनिर्भरता का मॉडल बनाया था। अब उसी के अनुरूप सरकार नई आबकारी नीति को तैयार किया जा सकता है। ऐसे में जो नई आबकारी नीति आएगी उसका विरोध करना उनके लिए आसान नहीं होगा। इससे जहां उमा भारती का विरोध ठंडा हो जाएगा वहीं सरकार के सामने भी राजस्व को लेकर दूसरा विकल्प खोजने की परेशानी दूर हो जाएगी, क्योंकि आबकारी नीति के जरिए सरकार को करीब 13 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है ओर इतने बड़े राजस्व का दूसरा विक ल्प फिलहाल दूसरा कोई दिख नहीं रहा है। यही कारण है कि नई आबकारी नीति को उमा के विरोध को शांत करने के लिए नए सिरे से तैयार किया जा रहा है, जिसके कारण उसके जारी होने में फिलहाल कुछ समय लग रहा है।

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