जान जोखिम में डाल टेक्नीशियन कर रहे एक्सरे
जान जोखिम में डाल टेक्नीशियन कर रहे एक्सरेRaj Express

Gwalior : जान जोखिम में डाल टेक्नीशियन कर रहे एक्सरे, बचाव के नहीं हैं उपाय

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : जयारोग्य, जिला अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में हर रोज करीब डेढ़ सौ से अधिक मरीजों का एक्सरे, टेक्नीशियन अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। रेडिएशन हमारे शरीर के लिए काफी खतरनाक हैं। इसका सबसे जाना पहचाना जरिया है एक्स-रे। एक्स-रे कुछ और नहीं बल्कि सूरज की रोशनी की तरह उर्जा की किरणें है, जो तरंग के रूप में होती हैं। जानकारों की माने तो सूरज की रोशनी और एक्स-रे में कोई खास अंतर नहीं हैं। सूरज की रोशनी में इतनी उर्जा नहीं होती कि हमारे शरीर से आर-पार गुजर सके, जबकि एक्स-रे की ऊर्जा यानी रेडिएशन से इस कदर होती हैं कि आसानी से हमारे शरीर के आर-पार कर जाती है। उसके बाद भी अस्पतालों में रेडिएशन से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही हैं।

जयारोग्य, जिला अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में हर रोज करीब डेढ़ सौ से अधिक मरीजों का एक्सरे टेक्नीशियन अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं। लेकिन बचाव के नाम पर एक मात्र लेड एप्रोन दिया है। एक्सरे करने वाले तकनीशियन को फुल बैच नामक यंंत्र नहीं दिया गया है, ताकि उसे पता चले कि उसके शरीर में कितना रेडिएशन हुआ है। रेडिएशन शरीर में फुल हो जाने पर फुल बैच सिग्नल देने लगता है कि अब उसे एक्सरे का काम छोड़ देना है नहीं तो कैंसर हो सकता है।

100 रेड के बाद नहीं कर सकते एक्सरे :

रेडिएशन को कम नहीं किया गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता हैं। रेडिएशन के मामले में एक व्यक्ति की क्षमता अधिक-से-अधिक 500 रेड सहन करने की होती हैं। इससे ज्यादा होने पर वह कैंसर जैसे घातक रोग का शिकार हो सकता हैं। लेकिन 100 रेड से अधिक होने पर ही बीमारी उसे अपने गिरफ्त में लेना शुरू कर देती हैं। इसलिए तकनीशियन को फुल बैच यंत्र दिया जाता है, यह यंत्र उसे हर घंटे सिग्नल देगा कि उसके शरीर में कितना रेडियेशन हुआ है। एक समय वह बताता है कि अब आगे रेडियेशन नहीं लें।

कई कर्मचारी हो चुके हैं रेडिएशन के शिकार :

जयारोग्य चिकित्सालय, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल सहित अन्य शासकीय अस्पतालों में पदस्थ कई कर्मचारी रेडिएशन की चपेट में आ चुके हैं। जयारोग्य में कार्यरत एक तकनीशियन की मौत कैंसर से हो चुकी है, जबकि सिविल अस्पताल के एक तकनीशियन की आंखे भी खराब हो चुकी हैं। इसी तरह एक कर्मचारी को रेडिएशन के कारण त्वचा रोग हो गया था। उसके बाद भी स्वास्थ्य अधिकारी तकनीशियन की जान के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं।

निजी सेन्टरों की भी यही स्थिति :

यही स्थिति निजी एक्सरे सेन्टरों की भी है। शहर में गली-मोहल्लों में धड़ल्ले से एक्स-रे सेन्टर खुल रहे हैं। लेकिन रेडिएशन से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही हैं। जबकि निजी सेन्टर संचालक तकनीशियन को सिर्फ 10 से 15 हजार रूपए वेतन के रूप में देते हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com