बीएलओ को छोड़ टीसियों से बटवाई मतदाता पर्ची
बीएलओ को छोड़ टीसियों से बटवाई मतदाता पर्चीसांकेतिक चित्र

Gwalior : बीएलओ को छोड़ टीसियों से बटवाई मतदाता पर्ची, दो लाख से अधिक लोग रहे वंचित

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : 5 जुलाई रात तक भी नहीं बंटवा पाए मतदाता पर्ची। मतदाता पर्ची के अभाव में प्रभावित हो सकता है मतदान। मतदाता पर्ची वितरण में लापरवाही पर चुनाव आयोग कर सकता है कार्यवाही।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगरीय निकाय चुनाव में मतदाता पर्ची वितरण में जिला प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई है। आमतौर पर हर चुनाव में एक सप्ताह पहले से बीएलओ को मतदाता पर्ची वितरण का कार्य सौंपा जाता है। लेकिन इस बार बीएलओ को छोड़कर नगर निगम के कर संग्रहकों (टीसी) को पर्ची वितरण की ड्यूटी पर लगाया गया। टीसियों को घरों की जानकारी नहीं थी इसलिए चार दिन तक 30 प्रतिशत मतदाता पर्ची भी नहीं बट सकी। मतदान के अंतिम तीन दिनों में अधिकारियों को गलती का एहसास हुआ तो 3 जुलाई से बीएलओ को टीसियों के साथ ड्यूटी पर लगाया गया। मतदान से एक दिन पहले 5 जुलाई की रात्री तक कई वार्डों में 60 से 70 प्रतिशत पर्ची वितरण भी नहीं हो सका। मतदाता पर्ची न मिलने से विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी।

दरअसल, इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में जिला प्रशासन द्वारा अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास अधिक किया गया। फिर मामला ईवीएम मशीनों के प्रशिक्षण का हो या मतदान केन्द्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का। हर काम को जिला प्रशासन ने नगर निगम के जिम्मे छोड़ दिया। हद तो तब हुई जब मतदाता पर्ची लोगों तक पहुंचाने का मुख्य काम बीएलओ की जगह नगर निगम की टीसियों को सौंप दिया गया। 6 जुलाई को मतदान होना था और 29 जून को पर्ची बांटने का काम नगर निगम टीसियों को सौंप दिया गया। टीसियों ने पहले कभी मतदाता पर्ची का वितरण अकेले नहीं किया था, इसलिए उन्हें कोई अनुभव नहीं था। पहले दिन 4 से 5 प्रतिशत पर्ची बटी और अन्य दिनों में भी यही स्थिति रही। चुनाव से तीन दिन पहले 3 जुलाई को जब अधिकारियों को गलती का एहसास हुआ तो टीसियों के साथ बीएलओ की ड्यूटी लगाई लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इतना ही नहीं बीएलओ ने भी जिम्मेदारी पूर्वक काम न करते हुए सारा भार नगर निगम टीसियों के ऊपर डाल दिया। नतीजा यह रहा कि चुनाव से एक दिन पहले 5 जुलाई की रात तक 60 से 65 प्रतिशत मतदाता पर्ची का वितरण ही हो सका। अधिकारियों की लापरवाही के चलते मतदान प्रतिशत प्रभावित होना तय है।

दो टीसियों को कर दिया निलंबित :

नगर निगम टीसियों को यह जानकारी ही नहीं थी कि वार्ड में कौन से मौहल्ले में कितने घर हैं। जो सूची उन्हें उपलब्ध कराई गई थीं उसमें भी बहुत से लोगों के गलत पते दर्ज थे। टीसी लगातार परेशान होते रहे और उन्होंने नगर निगम के अधिकारिक ग्रुप पर इस परेशानी को बताया। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मतदाता पर्ची वितरण करने में लापरवाही बताते हुए 3 जुलाई को ही वार्ड क्रमांक 12 के टीसी राजकुमार कोष्टा एवं वार्ड 7 के टीसी विष्णु शिवहरे को निलंबित कर दिया गया। प्रशासनिक अधिकारी आधा दर्जन और टीसियों को निलंबित करना चाह रहे थे लेकिन इस कार्यवाही का नगर निगम स्तर पर विरोध दर्ज कराया गया। अगर कार्यवाही होती तो टीसी सामूहिक हड़ताल भी कर सकते थे। इसे देखते हुए अन्य टीसियों का निलंबन रोक दिया गया।

सोशल मीडिया पर पत्रकारों ने बताया नहीं मिली पर्ची :

मतदाता पर्ची के वितरण को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीन दिन से लगातार शिकायतें चल रही है। पत्रकारों से जुड़े विभिन्न ग्रुपों पर लगातार शिकायत आती रही कि हमारे यहां मतदाता पर्ची नहीं मिली है। इन ग्रुपों में जुड़े अधिकारी शिकायत को देखते हुए ऐप के द्वारा मतदाता पर्ची निकालने की समझाईश देते रहे। ऐसा पहली बार हुआ है कि जिला प्रशासन मतदाता पर्ची बंटवाने में फैल साबित हुआ है।

मतदाता पर्ची न मिलने से यह होगी परेशानी :

  • मतदाता पर्ची पर मतदान केन्द्र का पता लिखा होता है, इससे वोटर आसानी से मतदान केन्द्र पर पहुंच सकता है। लेकिन पर्ची न होने से अब मतदान केन्द्र का पता करने में परेशानी आएगी।

  • जो लोग जहां वोट डालने जाते हैं वह उसी मतदान केन्द्र पर पहुंचे और वहां से पता चलेगा कि मतदान केन्द्र बदल गया है तो वह वोट डाले बिना भी घर जा सकते हैं।

  • मतदाता पर्ची न होने पर फर्जीवाड़े के आरोप भी लगेंगे।

  • मतदाता केन्द्र पर बैठे भाजपा एवं कांग्रेस के एजेंट भी गलत मतदान करने का आरोप लगाकर विवाद कर सकते हैं।

इनका कहना है :

आर्दश चुनाव कराने के लिए शत-प्रतिशत मतदाता पर्ची बांटी जानी आवश्यक है। इसके लिए बीएलओ की ड्यूटी ही पर्ची वितरण पर लगाई जानी थी। प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसे कर्मचारियों को बीएलओ बनाना था जो संबंधित क्षेत्र के निवासी हैं और उन्हें कौन सा मौहल्ला कहां है यह पता होता है। मैंने भी कई चुनाव कराए हैं और हर बार यही लक्ष्य रहता था कि मतदाता पर्ची शत-प्रतिशत बंट जाए। उदाहरण के रूप में पहले हम गांधी रोड़ मतदान केन्द्र में वोट डालते थे और अब हमारा मतदान केन्द्र ओहदपुर हो गया है। यह हमें मतदाता पर्ची से ही पता चला। मतदाता पर्ची न बटने पर विवाद की स्थिति बन जाती है जो मतदान के प्रतिशत को प्रभावित करेगी।

विनोद शर्मा, सेवा निवृत आईएएस अधिकारी

मतदाता पर्ची वितरण में टीसियों की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन जब समझ में आया कि बिना बीएलओ के वितरण संभव नहीं है जब टीसियों के साथ उन्हें भी लगा दिया गया। हमारे टीसी 5 जुलाई देर रात तक मतदाता पर्ची बांटने में जुटे हुए हैं। जिन्हें पर्ची नहीं मिली है वह ऐप पर जाकर अपनी पर्ची निकाल सकते हैं। साथ ही मतदान केन्द्र पर भी पर्ची बनाने के लिए कर्मचारी उपलब्ध रहेंगे। किसी को भी मतदान में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

किशोर कन्याल, निगमायुक्त

पंचायत चुनाव में जिस तरह बीएलओ मतदाता पर्ची बांटते हैं उसी तरह नगर निगम चुनाव में यह जिम्मेदारी नगर निगम के टीसियों को दी गई थी। जब वह पर्ची नहीं बांट पाए तो हमें बीएलओ को उनके साथ लगाया है। हमारे पास जो जानकारी है उसके अनुसार 90 प्रतिशत मतदाता पर्ची बंट चुकी हैं।

एचबी शर्मा, एडीएम

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