Gwalior : तिघरा की कैनाल से बाहर फैल रहा था पानी इसलिए कम कर दी थी सप्लाई

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : तिघरा बांध से मोतीझील में कम पानी आने का मुख्य कारण स्लोव की चूड़ियां कम खुलना था। बांध से मोतीझील के लिए बनाई गई कैनाल से पानी बाहर फैलता था इसलिए चूड़ियां कम खोली जा रही थीं।
तिघरा की कैनाल से बाहर फैल रहा था पानी इसलिए कम कर दी थी सप्लाई
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हाइलाइट्स :

  • मामला, तिघरा से मोतीझील तक कम पानी पहुंचने का

  • तिघरा फिल्टर प्लांट की लाईट जाने पर वापस पहुंच रहा था पानी

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। तिघरा बांध से मोतीझील में कम पानी आने का मुख्य कारण स्लोव की चूड़ियां कम खुलना था। बांध से मोतीझील के लिए बनाई गई कैनाल से पानी बाहर फैलता था इसलिए चूड़ियां कम खोली जा रही थी। जल संसाधन विभाग एवं नगर निगम पीएचई विभाग के बीच विगत दिवस हुई बैठक में यह बात सामने आई थी। पीएचई अधिकारियों ने बताया कि तिघरा वाटर फिल्टर प्लांट की लाईट जाने पर लाईन को बंद कर दिया जाता है जिससे पानी वापस कैनाल में पहुंचता है। इसी वजह से पानी ओवर फ्लो होता है। अगर लाईन को बंद नहीं किया जाए तो प्लांट की पूरी मोटर डूब जाती हैं। इस समस्या से जल संसाधन विभाग को अवगत करा दिया है और आगे से पानी कम नहीं छोड़ा जायेगा।

तिघरा बांध से मोतीझील प्लांट को कम पानी देने के कारण शहर की टंकियां पूरी नहीं भर पा रहीं थी। लगातार आ रही समस्या को देखते हुए प्रभारी निगमायुक्त आशीष तिवारी ने जल संसाधन विभाग एवं पीएचई अधिकारियों की बैठक विगत दिवस बुलाई थी। इस बैठक में दोनों अधिकारियों ने अपने तर्क रखे। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कैनाल के ओवर फ्लों होने पर फैलने वाले पानी के फोटो दिखाए और कहा कि पानी फैलता रहता है इसलिए चूड़ी कम करना पड़ी हैं। इसके जबाव में निगम अधिकारियों ने कहा कि ऐसा तभी होता है जब तिघरा वाटर फिल्टर प्लांट की बिजली जाती है। बिजली जाते ही बांध से आने वाले पानी की लाईन को बंद करना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर प्लांट की मोटरें डूब जाती है और फुंकने पर उन्हें दोबारा ठीक कराने में काफी समय लग जाता है। मोटरें बहुत कीमती है और एक बार फुंकने पर बहुत 'यादा पैसा खर्च होता है। इस बात के सामने आने पर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि आगे से ऐसा कुछ हुआ करें तो आप हमें वॉट्सएप के जरिए या फोन करके सूचना दे दें ताकि हम स्लोव की चूडिय़ां कम नहीं खोलेंगे। दोनों विभागों में सहमति बनने के बाद इस मामले का पटाक्षेप हो गया है। हालांकि अब भी दोनों विभाग पानी की गणना को लेकर आमने सामने हैं। जल संसाधन विभाग तिघरा से प्रतिदिन 10 एमसीएफटी पानी छोडऩे की बात पर अडिग है और नगर निगम का पीएचई अमला मोतीझील एवं तिघरा फिल्टर प्लांट पर कुल 8.5 एमसीएफटी पानी पहुंचने की बात कह रहा है। इस मामले को लेकर कभी भी फिर से विवाद हो सकता है।

इनका कहना है :

हमने कैनाल से पानी फैलने के वीडियो प्रभारी निगमायुक्त को दिखा दिए थे। इसके बाद पीएचई अधिकारियों ने भी अपनी बात रखी। अब मामला सुलट गया है।

राघवेन्द्र शर्मा, एसडीओ, तिघरा, जल संसाधन विभाग

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