ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कमलाराजा अस्पताल में बुधवार को तीन बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई। तीनों ही बच्चे गम्भीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती थे। एक बच्चा सुबह ही निजी अस्पताल से रैफर होकर उपचार के लिए भर्ती हुआ था। जिसने भी दम तोड़ दिया।
उपनगर ग्वालियर निवासी 10 वर्षीय अवनीश बुधवार सुबह रवि नगर स्थित निजी अस्पताल से रेफर होकर केआरएच पहुंचा था। डाक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर भी रखा पर बचा नहीं सके। छतरपुर से आए सात वर्षीय बच्चे की दोपहर में और तीसरे बच्चे की शाम के समय मृत्यु हो गई। डाक्टर का कहना है बच्चों को निमोनिया के साथ अन्य कई बीमारियां थीं। यदि वह समय रहते अस्पताल पहुंचते तो शायद बचाया जा सकता था। केआरएच में पिछले तीन दिन में सात बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। बीमार बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए केआरएच में 20 बेड और बढ़ा दिए गए हैं। नए मरीजों को इन बेडों पर भर्ती करना शुरू कर दिया गया है। उधर जिला अस्पताल में बच्चों के वार्ड में आइसीयू बनने के बाद अब नए 10 बेड रेन बसेरा में डाले गए हैं।
अस्पताल में गर्मी से बेहाल बच्चे :
बच्चों के लिए बेड बढऩे के बाद भी केआरएच में स्थित पीआइसीयू में एक पलंग पर तीन-तीन बच्चे आज भी इलाज ले रहे हैं। पूरे वार्ड में केवल एक ऐसी चल रहा है। गर्मी और उमस से बच्चे बेहाल हो रहे हैं। पीआइसीयू में बच्चों के साथ अटेंडेंट की भीड़ जमा होने से उमस और अधिक बढ़ जाती है। पीआइसीयू में चार ऐसी लगाए गए थे। इनमें से एक एसी खराब होने के बाद हटा दिया, जबकि दो खराब पड़े हैं। वहीं एक सप्ताह पहले केआरएच से पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग सुपर स्पेशियलिटी में शिफ्ट किया गया। इसके बाद संभागायुक्त के निर्देश पर बच्चों के लिए यहां 20 बेड का आइसीयू तैयार किया गया। इसके बाद 20 बेड का वार्ड बुधवार को और बनाया गया। वहीं जिला अस्पताल में सीएमएचओ के निर्देश पर रेन बसेरा में दस बेड बढ़ाए हैं।
किसी ने नहीं की सुनवाई :
छतरपुर निवासी लखन कुशवाह ने मंगलवार को अपने 10 साल के बच्चों को भर्ती किया था। उसके गले में संक्रमण था और उसे निमोनिया सहित अन्य बीमारियों ने घेर रखा है। लखन ने बताया, डाक्टर ने एक इंजेक्शन सुबह 12 बजे लिखकर दिया, जिसे वह बाजार से लेकर आया। इसके बाद दोपहर दो बजे तक डाक्टर के आगे पीछे गिड़गिड़ाता रहा, पर किसी डाक्टर या नर्स को इतनी फुर्सत नहीं थी कि बच्चों को दवा दे सके। जब बच्चे की हालत बिगड़ी तो लखन ने वार्ड में चीखा, तब जूनियर डाक्टर देखने पहुंचा। वहीं जूनियर डाक्टर का कहना है मरीज अधिक हैं और स्टाफ कम, इसलिए मरीज तक पहुंचने में समय लग जाता है।
इनका कहना है :
केआरएच में दूरदराज से मरीज इलाज लेने आते हैं। शुरुआत में वह आसपास ही इलाज लेते हैं, जब हालत गंभीर होती है तब यहां पहुंचते हैं। ऐसे में डाक्टर व स्टाफ भरपूर कोशिश नाकाम हो जाती है। जिन बच्चों की मृत्यु हुई है वे दिल में छेद, ब्रेन डेड और श्वांस की बीमारी से पीडि़त थी। बच्चों के लिए 20 बेड का वार्ड और बन गया है, अब समस्या नहीं रहेगी।
डॉ.देवेन्द्र कुशवाह, जनसम्पर्क अधिकारी, जेएएच
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