हाइलाइट्स :
छात्रों को पुराने पैटर्न के आधार पर करनी होगी तैयारी
अफसरों की आपसी खींचतान बनी वजह
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दसवीं-बारहवीं की दो परीक्षाएं कराने, नए पैटर्न वाले प्रश्न-पत्र, ऑनलाइन प्रश्न पत्र भेजने समेत अन्य बदलाव किए थे। माशिम ने बदले हुए परीक्षा पैटर्न पर ब्लूप्रिंट भी अपलोड कर दिया था। शिक्षा विभाग ने अपने अधिकार का उपयोग करके बदले गए सभी नियमों को निरस्त कर दिया है। वहीं मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने माशिम को साफ कह दिया है कि नए नियम से विद्यार्थियों की परीक्षा लेना उनके हित में नहीं है। इससे परीक्षा परिणाम पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।
स्कूल शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा मंडल के अफसरों के बीच बदले हुए पैटर्न को लेकर चल रही आपसी खींचतान से छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इस साल से दसवी और बारहवीं की परीक्षा का पैटर्न बदल दिया था। इससे छात्रों ने बदले हुए पैटर्न से परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दी थी। लेकिन अब शिक्षा विभाग के अफसरों ने उनके आदेश को निरस्त कर दिया है यानि नए पैटर्न पर रोक लगा दी है और पुराने पैटर्न पर परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव से रिजल्ट पर असर पड़ेगा
स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव का मानना है कि कोरोना काल के कारण शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे में मंडल द्वारा परीक्षा पैटर्न में किए गए बदलाव से रिजल्ट पर असर पड़ेगा। मंडल द्वारा ब्लू प्रिंट में तार्किक एवं समझ-परख वाले प्रश्न शामिल किए गए थे। ऐसे प्रश्नों के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। नियमित कक्षाओं में पूर्ण उपस्थिति न होने के कारण सभी विद्यार्थियों को इसका अभ्यास करा पाना संभव नहीं हो सकेगा। इसका विपरीत प्रभाव परीक्षा परिणामों पर पड़ सकता है। जो कि छात्र हित में नहीं है।
छात्र दो माह से कर रहे थे बदले हुए पैटर्न पर तैयारी
पिछले दो माह से विद्यार्थी बदले हुए पैटर्न के आधार पर परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। अब फिर इसमें बदलाव करने से विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि माशिम द्वारा शैक्षणिक सत्र 2020-21 की परीक्षाओं में परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न-पत्र ऑनलाइन/पेन ड्राइव के माध्यम से दिए जाने का प्लान तैयार किया था। विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था में प्रश्न-पत्र लीक होने की आशंका है। वहीं, जिला स्तर पर मूल्यांकन व्यवस्था लागू करने से स्थानीय स्तर पर हस्तक्षेप होने की आशंका रहेगी और उत्तर पुस्तिकाओं का निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करना व गोपनीयता रखना बहुत कठिन होगा।
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