हिंदी की समृद्धि के लिए आंसू बहाने वाली लालफीताशाही से लेकर सफेदपोश दगाबाज

भोपाल, मध्य प्रदेश : हिंदी दिवस पर जिम्मेदारों की करतूत उजागर करेंगे मातृभाषा से पढ़ाई करने वाले बेरोजगार। हिंदी दिवस पर करोड़ों बहाए, लेकिन 80,000 स्कूलों में नहीं विषय के विशेषज्ञ।
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भोपाल, मध्य प्रदेश। हिंदी दिवस की बेला पर एक बार फिर इस मातृभाषा की बदहाली पर प्रदेश के युवाओं से लेकर बुद्धिजीवियों ने सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। आरोप लगाया गया है कि जिस हिंदी की समृद्धि के लिए सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। उसके प्रति शायद यह घड़ियाली आंसू हैं।

हिंदी से पढ़ाई कर डिग्री हासिल करने वाले प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं ने कहा है कि हमारी मातृभाषा के साथ न्याय करने वाले पूरा झूठ बोल रहे हैं। हिंदी से स्नातकोत्तर करने वाले प्रदेश के युवाओं का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार की करनी और कथनी में बड़ा अंतर दिख रहा है। मौजूदा समय में हो रही शिक्षकों की भर्ती इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हिंदी के मात्र 100 पद पर भर्ती के लिए सरकार की स्वीकृति है। इस विषय से डिग्री लेकर उम्र दराज हो रहे प्रदेश के युवाओं का कहना है कि सरकार की करनी और कथनी में बड़ा अंतर है। हिंदी दिवस पर सिर्फ इस विषय को दबा कुचला और गरीब समझकर व्याख्यानमालाएं कर ली जाती हैं सम्मेलन होते हैं और इसके नाम पर लंबे चौड़े बिल बना कर भ्रष्ट अधिकारी और स्वयंसेवी संस्थाएं शासन के खजाने से मोटी धनराशि लेते हैं। लेकिन असलियत में कहा जाए तो इस भाषा के प्रति इमानदारी से कभी काम नहीं हुआ है। नतीजतन विरोध बढ़ना स्वाभाविक है।

हिंदी के समृद्धि के लिए आज बेरोजगार उतरेंगे सड़कों पर :

14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के दिन शिक्षित युवा बेरोजगार मंच एवं शिक्षक पात्रता संघ द्वारा प्रदेश की राजधानी भोपाल में शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री को स्थाई शिक्षकों की भर्ती में मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा हिंदी को प्राथमिकता दिलाने के लिए आवाज मुखर की जाएगी। इस दौरान अन्य भारतीय विषय व भाषाओं के रिक्त पदों में वृद्धि के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा। मातृभाषा के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा। बेरोजगार मंच के प्रदेश संयोजक रंजीत गौर के अनुसार प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती लगभग 9 वर्षों के पश्चात हो रही है। जिसमें भी कई विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षक भर्ती में मातृभाषा हिंदी के कुल 100 पद दर्शाए गए हैं। इसी प्रकार से विज्ञान 50, सामाजिक विज्ञान 60, संस्कृत  772, गणित 1,312 एवं उर्दू के मात्र 18 पद रिक्त दर्शाए गए हैं। जबकि अंग्रेजी भाषा के 3,358 पदों पर भर्ती की जा रही है। जिससे भारतीय विषय एवं भाषाओं की अवहेलना हो रही है। जबकि प्रत्येक विषय के हजारों पद रिक्त है। मंच की महिला प्रदेश अध्यक्ष ममता निगम के अनुसार माध्यमिक शिक्षक भर्ती में भी हिंदी, उर्दू, समाजशास्त्र, भूगोल एवं कृषि के पद कम मात्रा में दर्शाए गए हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षक भर्ती के 5,704 पदों पर अभी तक विज्ञप्ति जारी  होने से भी पात्र अभ्यर्थी नाराज हैं। पद वृद्धि के साथ समस्त रिक्त पदों पर स्थाई भर्ती की मांग पात्र अभ्यर्थी लगातार कई वर्षो से कर रहे हैं। समय पर मांगे पूरी ना होने पर पात्र अभ्यर्थियों द्वारा निकट भविष्य में उग्र आंदोलन भी किया जा सकता है एवं विधानसभा के 27 उपचुनावों में प्रदेश सरकार को शिक्षित युवाओं का विरोध भी झेलना पड़ सकता है।

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