जबलपुर : प्रशासन के नाक के नीचे खड़े हो गए रेत के अवैध भंडार

जबलपुर, मध्यप्रदेश : बरसात में मनमाने दामों पर होगा सौदा, अधिकारियों की सांठ-गांठ से फल-फूल रहा धंधा
रेत का अवैध भंडार
रेत का अवैध भंडारसांकेतिक चित्र

जबलपुर, मध्यप्रदेश। रेत की नई और पुरानी नीति के बीच झूलते नियमों के साए में किसी तरह रेंगता रेत का वैध बाज़ार एक बार फिर लोगों की उम्मीदों से किनारा कर चुका है। अपने सपनों के घरौंदों के निर्माण के लिए फिलहाल लोग रेत के अवैध कारोबार का ही सहारा ले रहे हैं। ऐसे में बरसात में इसकी आपूर्ति के लिए अवैध रेत कारोबारियों की तैयारी इस बार भी पहले जैसी दुरुस्त है। ग्रामीण अंचलों समेत शहर के विभिन्न भागों में अवैध रेत के बहुतेरे भंडार देखे जा सकते हैं। जो निश्चित रूप से अधिकारियों की सांठ-गांठ के संरक्षण में ही अब तक महफूज हैं। जिनका सौदा मनमाने दामों पर बरसात के दरमियान किया जाना है।

उल्लेखनीय है कि पहले रेत की नई और पुरानी नीति की झोलझाल फिर अचानक आए लॉकडाउन के बीच इस दिशा में शासकीय गतिविधियां लगभग शून्य रहीं। जबकि अवैध कारोबारियों की कारगुजारी एकांत में जारी रही। चोरी छुपे किए गये रेत के संग्रह को लॉक डाउन खुलते ही भंडारण के लिए माकूल जगहों पर पहुंचा दिया गया। इस रेत का इस्तेमाल अब अधूरे कार्यों को पूरा कराने धड़ल्ले किया जाना है। वैध रेत की आपूर्ति के अभाव में अब यह बाजार केवल अवैध कारोबारियों के हाथों में है। जो अब निमाणकर्ताओं से इसके एवज मोटी रकम ऐंठने की पूरी तैयारी में हैं।

छापों के बाद शासन करे नीलामी :

लॉक डाउन के बाद मुख्य धारा की तरफ मुड़ते खनिज विभाग को अब इस ओर ध्यान देते हुए इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाना चाहिए। ताकि इन भंडारण से जप्त रेत को वाजिब दामों पर लोगों को मुहैय्या कराना चाहिए। पर इस ओर लगातार शासकीय अधिकारियों की उदासीनता स्थिति को संदिग्ध बनाती है।

बढ़ रहा है निर्माणों के कर्ज का ब्याज :

शासन की घोषणाओं और अनुरोध के बाद भी बिल्डरों के कर्ज का ब्याज लगातार बढ़ रहा है। जिससे व्यथित होकर वे जल्द से जल्द निर्माण पूरा करना चाहते हैं। इस दिशा में उन्हें रेत की आपूर्ति के लिए अवैध कारोबारियों की ओर देखने के और कोई भी चारा दिखाई नहीं देता।

निर्माण के बाद भी फायदा संदिग्ध :

एक बिल्डर ने नाम न बताने की सूरत में बताया कि वर्तमान में जहां उनपर निर्माण को पूरा करने का दबाव जबर्दस्त है वहीं यह आशंका भी है कि निर्माण की लागत के अनुसार उसका खरीददार उपलब्ध होगा। क्योंकि लॉक डाउन के दर्मियान मार्केंंट में अभाव का बोलबाला है। ऐसी सूरत में वे लगातार होने वाले घाटे का अनुमान लगाते हुए डर महसूस कर रहे हैं।

कहां कहां हैं रेत के भंडार :

शहर में ऐसे भंडार उपनगरीय क्षेत्रों में कॉलोनियों के बीच भी देखे जा सकते हैं। जबकि कटंगी में ककरैता, राजघाट पौड़ी, कैमोरी, सरा में बहुतायत में जहां हिरन नदी की रेत के स्टॉक हैंं। इसी प्रकार पाटन, सिहोरा, चरगवां रोड में अनेक जगहों पर ऐसे भंडारण किए गए हैं जो बरसात में उपयोग किए जाने हैं।

खास बातें :

  • निर्माण कर्ताओं पर बढ़ते ब्याज के चलते अधूरे निर्माणों को पूरा करने का दबाज है।

  • बरसात में रेत की आपूर्ति अवैध भंडारणों से ही की जा सकती है। फिलहाल इसके विरुद्ध वैध आपूर्ति का विकल्प संभव नहीं।

  • अवैध भंडारण कई जगहों पर मौजूद हैं पर खनिज विभाग ध्यान नहीं दे रहा।

  • अगर ये भंडारण जप्त कर नीलाम कराएं तो न केवल राजस्व लाभ होगा बल्कि निर्माणकर्ताओं पर लगने वाला अतिरिक्त बोझ भी कम होगा।

इनका कहना है :

बरसात से पहले रायल्टी देकर रेत के भंडारण की अनुमति बाकायदा प्रदान की जाती है। जो बरसात में विक्रय की जाती है पर अवैध भंडारण भी होता है जिसे हम जप्त करते हैं। इस दिशा में पड़ताल के लिए गश्त जारी है। पर अमले पर अभी अतिरिक्त कार्यों का दबाव भी है इसलिए छापामारी या गश्त की गति फिलहाल काफी धीमी है।

देवेन्द्र पटले, खनिज निरीक्षक, जबलपुर

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