चार माह में छतों से बनाई 20 करोड़ की बिजली
चार माह में छतों से बनाई 20 करोड़ की बिजलीसांकेतिक चित्र

Indore : चार माह में छतों से बनाई 20 करोड़ की बिजली

इंदौर, मध्यप्रदेश : ग्रीष्मकाल में बढ़ जाता हैं 20 से 30 फीसदी उत्पादन। सोलर पैनल लगाने आगे आ रहे उपभोक्ता।

इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर के हजारों लोगों के साथ ही मालवा और निमाड़ में छतों से बिजली बनाने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। इसी कारण हर माह लाखों यूनिट यानी तीन से चार करोड़ रुपए कीमत की बिजली तैयार होती है। गर्मी के चार माह मार्च, अप्रैल, मई, जून में घर, दुकान, दफ्तर और उद्योगों की छतों, परिसरों से करीब बीस करोड़ रुपए की बिजली तैयार की गई है।

मालवा और निमाड़ अंचल में नेट मीटर लगाकर अपने परिसर में सौर ऊर्जा से बिजली तैयार करने वालों की संख्या इस ग्रीष्मकाल में एक हजार बढ़ी है। यानि चार माह में हजार से ज्यादा और बिजली उपभोक्ता इस ग्रीन एनर्जी की ओर आकर्षित हुए है। जून अंत में इनकी संख्या 5260 हो गई है। इस वर्ष मार्च से जून की चार माह की अवधि में पूर्व वर्ष की चार माह की अवधि की तुलना में लगभग तीस फीसदी बिजली ज्यादा बनी है, क्यों कि ग्रीष्मकाल में सूरज की किरणों की उपलब्धता 11 से 13 घंटे तक हो जाती है, जबकि अन्य माहों में यह समय कई बार 11 घंटे से भी कम हो जाता है। वर्ष 2022 के ग्रीष्मकाल में इंदौर शहर में नगर निगम सीमा से लगे इलाकों में कुल 3200 स्थानों पर बिजली उत्पादित हुई है। पूरे अंचल में नेट मीटर सोलर बिजली उत्पादन इंदौर शहर में ही सबसे ज्यादा हुआ है, यहां से बाजार भाव से लगभग दो करोड़ रुपए प्रतिमाह की बिजली तैयार हो रही है। इसके बाद उज्जैन और तीसरे स्थान पर रतलाम का नंबर आता है। जिलों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा इंदौर जिले से नेट मीटर के माध्यम से बिजली तैयार हो रही है, जबकि सबसे कम आगर जिले से। मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर के प्रबंध निदेशक अमित तोमर बताते हैं कि इंदौर, उज्जैन, रतलाम में छतों व अन्य परिसरों पर नेट मीटर सोलर पावर जनरेशन का कार्य बहुत ही तारीफे काबिल है। कंपनी के अधिकारी उपभोक्ताओं की इस दिशा में तत्परता से मदद करते है, ताकि ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिले। यह भविष्य के लिए बहुत जरूरी है।

42 माह में वसूल हो जाताृी है पूरी राशि :

परिसरों में छतों पर सौर पैनल्स लगाने वालों को बिजली बिल में राहत मिलती है। उन्हें मात्र अंतर यूनिट का बिल ही देना होता है। साढ़े तीन वर्ष यानी 42 माह में सौलर पैनल जितनी बिजली बनाता है, उसकी कीमत पैनल स्थापना के बराबर हो जाती है। इस तरह मात्र साढ़े तीन वर्ष में पैनल्स बिल्कुल फ्री हो जाती है। वर्तमान में एक किलोवाट की पैनल्स की स्थापना 60 से 70 हजार रुपए में संभव है।

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