तितली पार्क की कवायद फिर शुरू
तितली पार्क की कवायद फिर शुरूसांकेतिक चित्र

Indore : तितली पार्क की कवायद फिर शुरू, रालामंडल में बनेगा डोम

इंदौर, मध्यप्रदेश : मानसून के बादल छाने के साथ ही वनविभाग में रालामंडल में बनने वाले बटरफ्लाय पार्क के लिए सुगबुगाहट तेज हो गई। इस बार पार्क बनाने में विभाग को करीब 11 लाख का खर्च आ रहा है।

इंदौर, मध्यप्रदेश। मानसून के आगाज के साथ ही रालामंडल में तितली पार्क की कवायद फिर शुरू हो गई है। इसके कई डोम भी बनाए जाएंगे, वहीं अलग-अलग प्रजातियों के फूलों के पौधे भी खरीदना होंगे। पिछले साल भी यह प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन परवान नहीं चढ़ पाई। अब बारिश के साथ ही एक बार फिर कवायद शुरू हो गई है।

सूत्रों के अनुसार मानसून के बादल छाने के साथ ही वनविभाग में रालामंडल में बनने वाले बटरफ्लाय पार्क के लिए सुगबुगाहट तेज हो गई। इस बार पार्क बनाने में विभाग को करीब 11 लाख का खर्च आ रहा है। साथ ही डोम भी बनाया जा रहा है। जहां तितलियों के हिसाब से फूल वाले पौधे रोपे जाएंगे।

क्योंकि तितली हर फूल पर नहीं मंडराती :

यहां खास किस्म के पौधे लगेंगे। ये पौधे वन विभाग की नर्सरी में तैयार नहीं किए जा सकते है। इन्हें शहर की कुछ निजी नर्सरी से खरीदा जाएगा। बटरफ्लाय पार्क के लिए 6 हजार वर्गफीट जगह की जरूरत है, जो मिल गई है। पार्क में तितलियों को आकर्षित करने के लिए 40 प्रजाति के पौधे चाहिए। इनमें सूरजमुखी, दूध मोगरा, अशोक, मधुगामिनी, मोगरा, रातरानी, मुसेंडा, गेंदा, लेंटाना, इकजोरा, कृष्ण कमल, कासमास, जूही की बेल, केलीडेंटा है। मौसमी पौधे और घास भी जरूरी है।

45 से ज्यादा प्रजाति देखने को मिलेंगी :

पार्क बनने के बाद यहां रेड पायरेट, कामन जीजबेल, पायोनियर, कामन कैस्टर, ग्रास येलो, प्लेन टाइगर सहित 45 से ज्यादा प्रजातियों की तितलियां देखने को मिल सकती हैं। वैसे सिरपुर तालाब के आसपास नगर निगम और एनजीओ की मदद से पार्क बना चुका है। यहां बटरफ्लाय पार्क का प्रोजेक्ट कैम्प योजना में शामिल किया गया था।

आईआईटी के पास मिले तेंदुए के पगमार्क :

चोरल रेंज में हमले में बच्ची की मौत और दूसरे दिन युवक पर हमला करने वाले तेंदुए की लोकेशन वनविभाग को नहीं मिल पा रही है। वनकर्मियों ने जंगल और वनग्राम का निरीक्षण किया। पूछताछ करने पर तेंदुए का परिवार घूमने की चर्चा हुई, कुछ स्थानों पर पैरों के निशान भी देखे। सूत्रों के मुताबिक तेंदुए की गतिविधियों के बारे में पता चलने पर आईआईटी से भी कुछ लोगों ने वनकर्मियों को इसके बारे में बताया है। वनकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। जहां दो वयस्क और एक शावक के पंजों के निशान मिले हैं। विभाग ने हमेशा के लिए एक पिंजरा लगा रखा है। वन अफसरों के मुताबिक बीते पांच साल में चार बार तेंदुआ आईआईटी में घुस चुका है।

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