अव्यवस्थाओं और गंदगी से पटी चोइथराम मंडी
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Indore : अव्यवस्थाओं और गंदगी से पटी चोइथराम मंडी

इंदौर, मध्यप्रदेश : किसान भवन की तरह मंडी परिसर का हाल भी कुछ ऐसा ही है। चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। सब्जी व फल की दुकानों के सामने ही कूड़ा पड़ा रहता है।

इंदौर, मध्यप्रदेश। देवी अहिल्याबाई होलकर सब्जी एवं फल मंडी (चोइथराम मंडी) में कई जिलों से करीब 10 हजार किसान रोजाना उपज लेकर आते हैं। मंडी प्रशासन को सुविधा शुल्क भी देते हैं, फिर भी उन्हें न तो पीने का पानी मिलता है और न ही सोने की उचित व्यवस्था है। कहने को मंडी परिसर में किसानों के लिए रेस्ट हाउस 2008 से बना हुआ है, लेकिन इस किसान भवन की हालत कुछ खास नहीं हैं। इतना ही नहीं मंडी कार्यालय, शौचालय तक की स्थिति बद से बदतर हैं। कुल मिलाकर अव्यवस्थाओं और गंदगी से पटी मंडी नजर आती हैं।

जाने से कतराते हैं लोग :

मंडी परिसर में गंदगी पसरी हुई है। कई किसान दूर-दूर से उपज लेकर आते हैं। इस कारण उनको रात में रुकना भी पड़ता है। परिसर में फैली अव्यवस्थाओं के कारण किसान अपने वाहन में या खुले में ही सो जाते हैं। किसान भवन की तरह मंडी परिसर का हाल भी कुछ ऐसा ही है। चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। सब्जी व फल की दुकानों के सामने ही कूड़ा पड़ा रहता है। व्यापारी व किसानों के लिए पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। जहां पानी की टंकी है, वहां इतनी गंदगी है कि लोग जाने से कतराते हैं।

मूलभूत सुविधाएं ही नदारद :

सूत्रों की माने तो किसान भवन की बिल्डिंग जर्जर और अस्त-व्यस्त है। जगह-जगह से फर्श टूटी हुई है। बिजली की व्यवस्था नहीं है। साथ ही महिलाओं व ब'चों के लिए शौचालय तक नहीं है। टायलेट की शीट व दरवाजे टूटे पड़े हैं। किसान भवन में किसानों के रुकने के लिए मंडी समिति द्वारा निर्धारित शुल्क 10 रुपये है, लेकिन परिसर में मूलभूत सुविधाएं ही नदारद हैं।

मंडी सचिव भी नहीं देते ठीक से जवाब :

व्यापारियों का कहना हैं परिसर में सफाई को लेकर बड़ी दिक्कतें हैं। मंडी में जहां देखों वहीं गंदगी पटी हुई है। हमने कई बार मंडी सचिव को शिकायत भी की लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई हैं। हमने मंडी सचिव से पीने के साफ पानी को लेकर भी बात की लेकिन वो भी बातों का जवाब घुमा-फिराकर देते हैं। मंडी समिति की लापरवाही साफ नजर आती है। किसानों को मंडी में जो सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल रही हैं।

करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं सुधरे हालात :

मंडी प्रशासन की ओर से सालाना 1 से 2 करोड रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद कोई हल नहीं निकल पा रहा है। 15 सालों से ड्रेनेज की सबसे अधिक परेशानी के चलते 10 सालों से करीबन 25 करोड़ से अधिक मंडी प्रशासन की ओर से खर्च हो चुके हैं, लेकिन आज तक ड्रेनेज लाइन की परेशानी बनी हुई है। मंडी परिसर के अंदर सुलभ शौचालय का गंदा पानी बहता भी नजर आता है।

मंडी में कई सचिव बदल गए लेकिन ड्रेनेज लाइन को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया है।

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