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Indore : घोषणाओं में भी नंबर वन बना नगर निगम

इंदौर, मध्यप्रदेश : एक के बाद एक घोषणाएं की, लेकिन कोई भी अंजाम तक नहीं पहुंची। अधूरे काम छोड़कर दूसरे काम में लग जाता निगम का अमला।

इंदौर, मध्यप्रदेश। स्वच्छता में इंदौर जबसे लगातार 5 बार नंबर वन बना है, तब से लोगों की कुछ ज्यादा अपेक्षाएं इंदौर नगर निगम से बढ़ गई हैं। निगम के जिम्मेदार भी इसमें पीछे नहीं रह रहे हैं और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार कोई न कोई ऐसी घोषणाएं कर दी जाती हैं, जिससे उन्हे वाह-वाही मिल जाती है। ऐसा एक नहीं कई बार हुआ है।

वहीं घोषणाओं के बाद जब काम को अंजाम तक पहुंचाने की बारी आती है, तो इसमें निगम की टीम बीच में ही हंफाने लगती है और अधूरा काम छोड़कर किसी अन्य घोषणा को पूरा करने में जुट जाती है। पिछले कुछ माहों में लगातार घोषणाएं होती रही हैं और इस तरह घोषणाओं में भी नगर निगम नंबर वन बन गया है।

कोयले-लकड़ी मुक्त नहीं हुआ शहर :

शहर की आबोहवा को सुधारने के लिए नगर निगम ने घोषणा की थी कि शहर को कोयला और लकड़ी मुक्त किया जाएगा। कारण इस बार के स्वच्छता सर्वे में स्वच्छ आबोहवा के भी पाइंट थे। इसके लिए ताबड़तोड़ नगर निगम ने होटल संचालकों के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी, क्योंकि सबसे ज्यादा लकड़ी-कोयला का इस्तेमाल शहर में रेस्टारेंट वाले तंदूरी रोटी और नॉनवेज बनाने में करते थे। घोषणा के बाद धर-पकड़ शुरू हुई। इसके खिलाफ लोग एकत्र हुए, निगम ने भी एक माह का समय दिया, इसके बाद कहां तंदूर में कोयले जल रहे हैं या इलेक्ट्रीक तंदूर का उपयोग हो रहा है, कोई देखने वाला नहीं।

पीने के पानी से नहीं होगा निर्माण, नहीं धुलेंगे वाहन :

ग्रीष्म ऋतु शुरू होते ही नगर निगम ने घोषणा कर दी कि शहर में जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, चाहे वो छोटा हो या बड़ा, पीने के पानी से नहीं होगा। इसके लिए न तो बोरिंग के पानी का इस्तेमाल होगा न ही नर्मदा या अन्य किसी स्रोत का। निर्माण कार्य के लिए लोगों को ट्रीटमेंट वाटर निगम के विभिन्न हाइड्रेंड से मुफ्त दिया जाएगा। घोषणा के बाद इसका कहीं कोई क्रियान्वयन होता नहीं दिखा। वर्तमान में बोरिंग, नर्मदा के पानी से शहरभर में निर्माण कार्य हो रहे हैं। जमकर तराई भी हो रही है और सर्विस सेंटरों पर वाहन भी पीने योग्य पानी से धोए जा रहे हैं। किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग की भी हवा निकल गई :

इसी तरह बारिश के पूर्व नगर निगम ने जोर-शोर से शहर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की मुहिम शुरू की। पूरी टीम को लगा दिया। एनजीओ ने भी कई स्थानों पर सर्वे किया। घोषणा की गई कि 30 जून तक पूरे नगर निगम क्षेत्र में शतप्रतिशत रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हो जाएगा और इनकी जीयो टेगिंग कर दी जाएगी। आधा जून बीत गया, लेकिन हाल यह है कि पूरा शहर तो दूर जिन घरों, संस्थानों में ट्यूबवेल हैं, वहां फर 30 प्रतिशत रेन वॉटर हार्वेस्टिंग नहीं किया गया और न ही एनजीओ की टीम पहुंची। अब निगम चुनाव की घोषणा होने के बाद ऊपरी दबाव के चलते यह सिलसिला लगभग थम सा गया है। निगम के जिम्मेदार एक घोषणा को अंजाम तक नहीं पहुंचाते हैं और दूसरी घोषणा के बाद टीम को उसमें झोंक देते हैं। मैं हूं झोलाधारी अभियान भी बीच में अधूर रहा गया। इस कारण कोई काम पूरा नहीं हो पाता।

प्रत्येक वार्ड में बनेंगे पांच 'अहिल्या वन', कब होगी योजना शुरू "

नगर निगम ने दो माह पूर्व शहर को हरियाली में नंबर वन बनाने के लिए घोषणा की थी कि शहर में 400 स्थानों पर सघन पौधारोपण कर नगर निगम 'अहिल्या वन' बनाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू करने की बात कही थी, अहिल्या वन बनाने के लिए शहर के हर वार्ड में पांच प्रमुख स्थानों पर पौधे लगाने की बात कही थी, लेकिन फिलहाल इस योजना का कहीं अता-पता नहीं है।

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