टैंकरों से केवल नाम हटे, पानी नेताओं की मर्जी से बंट रहा
टैंकरों से केवल नाम हटे, पानी नेताओं की मर्जी से बंट रहाRaj Express

Indore : टैंकरों से केवल नाम हटे, पानी नेताओं की मर्जी से बंट रहा

इंदौर, मध्यप्रदेश : शहर में इन दिनों भीषण जलसंकट है। ज्यादातर बोरिंग पूरी तरह से सूख गए हैं। जो लोग बोरिंग के पानी पर पूरी तरह से डिपेंड थे, उन्हें बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हाइलाइट्स :

  • पूर्व पार्षद और उनके पट्ठों के इशारे पर ही ज्यादातर वार्डों में हो रहा काम।

  • हाइड्रेंट में रात में भरे जाते हैं टैंकर, लेकिन कहां बंटता है पानी किसी को नहीं जानकारी।

  • सरकारी बोरिंगों पर भी कब्जा कर रखा है नेताओं और उनके कार्यकताओं ने।

इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर में इन दिनों भीषण जलसंकट है। ज्यादातर बोरिंग पूरी तरह से सूख गए हैं। जो लोग बोरिंग के पानी पर पूरी तरह से डिपेंड थे, उन्हें बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों के मुताबिक आज भी शहर के केवल 60 प्रतिशत घरों में ही नल कनेक्शन हैं। इन घरों में भी एक दिन छोडक़र पानी आता है और कई घरों में तो पानी बहुत कम प्रेशर के साथ आ रहा है।

निगम द्वारा ऐसे इलाकों में टैंकर से पानी वितरण का दावा किया जा रहा है। शहर भर में करीब 300 टैंकर दौड़ रहे हैं दिन के साथ ही रात में भी पानी वितरण का काम होने का दावा किया जा रहा है। निगम अधिकारियों ने चुनाव आचार संहिता के चलते साफ कर दिया है कि टैंकरों पर पूर्व पार्षद के नाम न हों। साथ ही किसी भी नेता के दबाव या उसके समर्थन में काम न किया जाए, लेकिन हकीकत यह है कि हर वार्ड में पूर्व पार्षद, उनके पट्ठों और रसूखदार नेताओं की ही चल रही है।

आज भी पूर्व पार्षदों के घरों पर लगी रहती है भीड़ :

इंदौर में नगर निगम परिषद का कार्यकाल करीब ढाई वर्ष पूर्व खत्म हो चुका है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आज भी ज्यादातर पूर्व पार्षदों के घरों पर निगम से काम कराने वालों की भीड़ देखी जा सकती है, चाहे वह पानी की समस्या हो या ड्रेनेज, सफाई या अन्य की। कारण निगम के क्षेत्र के जिम्मेदार सीधी किसी की सुनवाई ही नहीं करते हैं। इतना ही नहीं निगम के सफाईकर्मी, माली आदि की सुबह की शुरुआत पूर्व पार्षदों के घरों से होती है और वहां से मिले दिशा-निर्देश पर काम हो रहा है। क्षेत्र में निगम के टैंकर कहां पर पानी का वितरण करेंगे। इसको लेकर भी दिशा-निर्देश पूर्व पार्षद और क्षेत्र के रसूखदार नेताओं से मिलते हैं। जो रुट और कालोनी, बस्तियां तय की हुई हैं, उन्हीं में पानी जाता है, अन्य कालोनी, मोहल्लों की तरफ तो झांका भी नहीं जाता। साथ ही जहां वोट बैंक हैं, वहीं पर सभी सुविधाएं मुहैया उस क्षेत्र का जीता हुआ पार्षद करता है।

ज्यादातर पूर्व पार्षदों के घरों के आसपास ही बोरिंग :

जो भी पार्षद का चुनाव जीतता है, इसमें से ज्यादातर लोग अपने घरों के आसपास निगम के खर्चे से बोरिंग कराते हैं। इन बोरिंगों से ज्यादा पानी निकलता है, तो हाइड्रेंट बनाकर पानी का वितरण होता है। साथ ही क्षेत्र को लोगों को भी पानी दिया जाता है। इसके बाद इसकी मोटर खराब हो जाती है और बंद हो जाता है। इसके बाद यह केवल पार्षद और उनके खास के घरों तक ही पानी पहुंचाता है। कई लोगों ने सरकारी बोरिंग को अपना निजी बोरिंग बना दिया है। जब लोग आपत्ति लेते हैं, तो उनसे कहा जाता है कि बिजली का बिल और मेटेंनेस हम करते हैं, आप भी करें और पानी लें। जब ज्यादा विवाद होता है, तो उसे भी उस बोरिंग से कनेक्शन दे दिया जाता है। शहर में ऐसे सैकड़ों बोरिंग होंगे, जिन पर कब्जा किया हुआ है और इसकी जानकारी नगर निगम के जिम्मेदारों तक को नहीं है, क्योंकि इनमें से तो कई का रिकार्ड ही नहीं है।

निगम सीमा में 5 हजार 700 सरकारी बोरिंग :

निगम रिकार्ड के मुताबिक नगर निगम सीमा में 5 हजार 700 बोरिंग हैं। इन बोरिंगों से आसपास के क्षेत्रों के लोगों को पानी दिया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि ज्यादातर बोरिंगों से घरों मे लाइन दे गई है। ज्यादातर बोरिंग बस्तियों में हैं, लेकिन जो थोड़ी भी पाश कालोनी है, इनमें यह सुविधा नहीं है। वहीं इनमें से भी कई बोरिंगों पर खास लोगों का नियंत्रण हैं। उनकी मर्जी के मुताबिक ही इसका इस्तेमाल होता है। वहीं शहर के कई हाइड्रेंट पर देर रात तक टैंकर भरे जाते हैं। इन टैंकरों से रात में कहां पानी का वितरण होता है?

कहां करें शिकायत, जानकारी ही नहीं :

पानी की समस्या को लेकर कहां और कैसे करें शिकायत। इसके लिए कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं है न ही ऐप इंदौर 311 में इसको लेकर कोई कॉलम दिया हुआ है, इसलिए ज्यादातर लोग वर्तमान में भी पूर्व पार्षद के पास शिकायत कर रहे हैं, जहां किसी की सुनी जा रही है, तो किसी को वोट न देने की बात पर फटाकर मिल रही है। कुछ लोग सीएम हेल्प लाइन में भी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन सीएम हेल्प लाइन में सुनवाई में काफी समय लग जाता है, तब तक लोग परेशान होते रहते हैं।

यह कहना है इनका :

निगम द्वारा जो टैंकरों से पानी दिया जा रहा है, वो हमारे जोन पर तैनात सहायक यंत्री और उप यंत्रियों को मिल रही शिकायतों के आधार पर किया जा रहा है। यह शिकायत कोई भी आम नागरिक करता है। शिकायत सही पाए जाने पर समस्या हल की जाती है। जहां तक सरकारी बोरिंग की बात है, तो इन पर कोई कैसे कब्जा कर सकता है। ऐसी कोई शिकायत हमारे पास नहीं है। 5700 बोरिंग हैं, जिन सभी लोगों को पानी दिया जाता है। यदि किसी को कोई शिकायत है, तो वो हमें आकर करे।

संजीव श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री, इंदौर नगर निगम, इंदौर

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