ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी : शिवराज सिंह
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ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी : शिवराज सिंह

भोपाल, मध्यप्रदेश : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी है। ऑडिटर वास्तविक रूप में सजग, सचेत और सतर्क रहते हुए सरकार के हिसाब-किताब की बारीकी से जांच करते हैं।

भोपाल, मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऑडिट की नकारात्मक छवि को बदलना जरूरी है। ऑडिटर वास्तविक रूप में सजग, सचेत और सतर्क रहते हुए सरकार के हिसाब-किताब की बारीकी से जांच करते हैं। ऑडिटर अनुपयोगी खर्च रोकने में सरकार के मददगार हैं। ऑडिट पैरा तथा उनके सुझाव सुशासन की सीख होते हैं। मुख्यमंत्री चौहान लेखा परीक्षा जागरूकता सप्ताह के तहत मिंटो हॉल, भोपाल में एक दिवसीय शासन के सुधार में लेखा परीक्षा की भूमिका, संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सरकारें अनेक प्रकार के दिवसों जैसे पर्यावरण दिवस, खेल दिवस, शिक्षक दिवस आदि का आयोजन करती हैं, लेकिन यह विडंबना रही है कि ऑडिट पर केंद्रित किसी दिवस का हमने विशेष रूप से आयोजन नहीं किया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का ही प्रभाव है कि उन्होंने ऑडिट संस्थाओं की नकारात्मक छवि को मिटाने के लिए इस दिशा में प्रयास आरंभ किये। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पहली बार देश में 16 नवंबर 2021 को ऑडिट दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सभी ऑडिट संस्थाओं,उनमें काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में लेखा परीक्षा का इतिहास 160 वर्ष से भी अधिक पुराना है। एक संवैधानिक संस्था के रूप में सीएजी संस्था ने सरकार के हिसाब- किताब को अधिक से अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब ऑडिट को लेकर शासकीय विभागों में विभिन्न तरह की शंका-कुशंकाएं बनी रहती थी। ऑडिटर को केवल कमियां निकालने वाले, सरकार के दोष देखने वाले, अनावश्यक सवाल-जवाब करने वाले और छोटी सी गलती को भी बड़ा बना कर भयभीत कर देने वाले लोगों के रूप में जाना जाता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएजी संस्था के महत्व को समझने की जरूरत है। सीएजी की कत्र्तव्य-परायणता, संविधान के प्रति निष्ठा को ध्यान में रखते हुए सीएजी को सरकार का मित्र, पूरक और सहयोगी के रूप में देखने की आवश्यकता है। कोई भी लोकतंत्र तभी मजबूती से काम कर सकता है, जब उसके तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, समन्वय और संतुलन के साथ अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करें। इस कार्य में सीएजी का योगदान उल्लेखनीय है।

मुख्यमंत्री ने संत कबीर के दोहे निंदक नियरे राखिए-आंगन कुटी छवाय बिन पानी बिन साबुना निर्मल करे सुभाय, का उद्धहरण देते हुए कहा कि लेखा परीक्षा करने वाले सरकार के कार्यों का स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रुप से मूल्यांकन कर हमारा सहयोग करते हैं। वह हमें यह भी बताते हैं कि काम में कहां-कहां सुधार की जरूरत है। इसलिए उन्हें अच्छे आलोचक और शुभ चिंतक के रूप में सदैव अपने साथ रखना चाहिए। संगोष्ठी को प्रधान महालेखाकार डी.साहू ने भी संबोधित किया। एक दिवसीय संगोष्ठी में पांच सत्र हुए।

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