जीवाजी विश्वविद्यालय स्थाई समिति की बैठक
जीवाजी विश्वविद्यालय स्थाई समिति की बैठकRE-Gwalior

Jiwaji University : नियम और कमियां दरकिनार कर बीएड कॉलेज को दी सम्बद्धता

कई बीएड कॉलेज ऐसे थे, जिनकी निरीक्षण रिपोर्ट में कमेटी के संयोजक प्रोफेसर ने स्पष्ट अनुशंसा नहीं की है। स्थायी समिति में ऐसे बीएड कॉलेजों की संबद्धता को लेकर सदस्यों के बीच असमजस्य की स्थिति बनी रही।

ग्वालियर। नियम और कमियों को दरकिनार कर स्थाई समिति सदस्यों ने जीवाजी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध बीएड महाविद्यालयों को सम्बद्धता प्रदान कर दी है। स्थाई समिति की बैठक में रिपोर्ट को लेकर कुलपति और सदस्यों के बीच थोड़ी बहुत नोंकझोंक भी हुई। अंत में तीन महाविद्यालयों को सम्बद्धता न देने का फैसला लेते हुए बैठक समाप्त हुई। जीवाजी विश्वविद्यालय में गुरूवार को दोपहर 2.30 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक स्थाई समिति की बैठक कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में बीएड महाविद्यालयों को वर्ष 2023-24 की सम्बद्धता देने पर चर्चा हुई।

बैठक में प्रताप कॉलेज एज्युकेशन श्योपुर, सीआई कॉलेज ग्वालियर और मॉं सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय गोहद ऐसे महाविद्यालय थे, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव थी। कमेटी ने इन कॉलेज को संबद्धता नहीं देने की अनुशंसा की थी। स्थाई समिति के सदस्यों ने कमेटी की अनुशंसा मान्य करते हुए तीनों महाविद्यालयों को सम्बद्धता नहीं दी। वहीं कई बीएड कॉलेज ऐसे थे, जिनकी निरीक्षण रिपोर्ट में कमेटी के संयोजक प्रोफेसरों ने स्पष्ट अनुशंसा नहीं की है।

रिपोर्ट में 'हां या ना स्पष्ट रूप से नहीं लिखने से स्थायी समिति में ऐसे बीएड कॉलेजों की संबद्धता को लेकर सदस्यों के बीच असमजस्य की स्थिति बनी रही। अंत में सदस्यों ने खामियों को दरकिनार कर महाविद्यालयों को सम्बद्धता दे दी। यहां बता दें कि स्थाई समिति की बैठक में 198 महाविद्यालयों की निरीक्षण रिपोर्ट को रखा गया। उसमें से सिर्फ तीन को छोड़ सभी को बीएड कोर्स के लिए सम्बद्धता प्रदान कर दी।

रिपोर्ट में टीम के नाम अंकित करने पर हुई नोंक-झोंक

स्थाई समिति सदस्य प्रो.आईके पात्रो ने बैठक में सुझाव रखा कि मिनिट्स में इस बात का भी जिक्र होना चाहिए कि किस महाविद्यालय का कौन सी टीम या सदस्यों ने निरीक्षण किया। इस बात को लेकर कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी बिफर गए। पहले तो उन्होंने ही प्रो.पात्रों के इस प्रस्ताव पर नोट ऑफ डीसेंट लगने की बात बोल दी, फिर एक-एक कर समिति सदस्यों से राय ली। इसमें सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव को मान्य करने के लिए कहा। तभी कुलपति ने प्रो.विवेक वापट से इस प्रस्ताव को मान्य करने के लिए सुझाव लिया तो उन्होंने भी हां कर दिया। प्रो.वापट के हां करते ही कुलपति निराश हो गए। यह देख समिति सदस्यों ने मिनिटस जस के तस रखने का फैसला लिया।

रिपोर्ट में स्पष्ट खामियों का जिक्र, फिर भी दी सम्बद्धता

रिपोर्ट में निरीक्षण टीम ने महाविद्यालयों में मिली कई सारी खामियों का जिक्र किया है। लेकिन टीम के सदस्यों ने उनकी रिपोर्ट को नजरअंदाज कर महाविद्यालयों को सम्बद्धता देने के लिए हरी झण्डी दे दी।

यह मिली खामियां

  • अधिकांश महाविद्यालय संचालक बैंक स्टेटमेंट नहीं दे सके।

  • प्राचार्यों की 28/17 में नियुक्ति की चयन समिति की रिपोर्ट तो पेश की लेकिन अपॉइनमेंट लेटर नहीं थे।

  • किस महाविद्यालय में शिक्षक मिले या नहीं मिले इसका जिक्र मिनिटस में नहीं है।

  • बैठक में रखे प्रस्ताव में अधिकाशं 28/17 की नियुक्तियों में कार्यपरिषद से एप्रुव नहीं लिया है।

इनका कहना है

मैंने गत दिवस पत्र लिखकर बीएड कॉलेजों के निरीक्षण संबंधी जो दस्तावेज मांगे हैं। वह दस्तावेज और निरीक्षण की सीडी सहित अन्य दस्तावेज उपलब्ध होने के बाद ही ईसी इन्हें बीएड कोर्स संचालित करने की परमिशन देगी, भले ही स्थाई समिति ने नियम और कमियों को देखकर इन्हें सम्बद्धता देने की अनुशंसा कर दी हो। यदि बिना दस्तावेज उपलब्ध कराये सम्बद्धता का प्रकरण ईसी की बैठक में रखते हैं तो हम उसे मान्य नहीं करेंगे। इसकी शिकायत सीधे राज्यपाल से करेंगे।

डॉ.संगीता कटारे, कार्यपरिषद सदस्य जीवाजी विश्वविद्यालय

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