न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहाSocial Media

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा- हर साल अपने जन्मदिन पर पौधे लगाएं और उनका पर्याप्त संरक्षण व संवर्धन भी करें

भोपाल, मध्यप्रदेश। कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने कहा है कि, पर्यावरण प्रदूषण हम सबके जीवन को सामान्यत: प्रभावित करता है, जन्मदिन पर पांच-पांच पौधे लगाएं। ।

भोपाल, मध्यप्रदेश। रविवार को आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का 28 स्थापना दिवस मनाया गया है, यहां उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने कहा है कि, पर्यावरण प्रदूषण हम सबके जीवन को सामान्यत: प्रभावित करता है। परंतु वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण का एक ऐसा अंग है, जो वास्तव में मनुष्य की जीवन प्रणाली पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु के लिये हम हर साल अपने जन्मदिन पर 5-5 पौधे लगायें और उनका पर्याप्त संरक्षण व संवर्धन भी करें।

श्री माहेश्वरी रविवार को आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के 28 वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। वायु के साथ ही श्री माहेश्वरी ने जल संरक्षण की भी आवश्यकता भी बताई, उन्होंने कहा कि आज यदि इस दिशा में प्रयास नहीं किए गए तो भविष्य में मानव जाति का क्या होगा इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने की। उन्होंने कहा कि हम सबने जो प्रकृति से लिया है, उसे लौटाने की प्रवृत्ति होनी चाहिये।

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने बताया-

पृथ्वी का संवर्धन करना है तो हमें जंगल बचाने होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उच्चतम न्यायालय ने पृथ्वी के अधिकार को भी मानव अधिकार घोषित कर दिया है। इसलिये पृथ्वी का संरक्षण हम सबको मिलकर करना है। यदि हम एक पेड़ काटें, तो उसके दस गुना पौधे लगायें। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी के उपरांत, शुद्ध वायु के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

हाल ही में अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ने यह दर्शाया है कि वर्ष 2019 में, दिल्ली ने 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत पी.एम. 2.5 सांद्रता दर्ज की, जो दुनिया के अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है। इसके बाद, कोलकाता का स्थान है। सर्वोच्च न्यायालय, नेशनल ग्रीन न्यायाधिकरण और अन्य गैर सरकारी संगठनों की निरंतर कोशिशों के बाद भी वायु प्रदूषण को प्रभावपूर्ण तरीके से नियंत्रित करने में हम सभी सामाजिक तौर से पीछे रहे हैं। ऐसे हालातों में, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा शुद्ध वायु के अधिकार-मानव अधिकार विषय पर संगोष्ठी का आयोजन एवं पुस्तिका का प्रकाशन करने की पहल नि:संदेह बहुत ही सार्थक है, सराहनीय है, अनुकरणीय है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का 28 स्थापना दिवस मनाया
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वायु प्रदूषण घटा रहा लोगों की उम्र : न्यायमूर्ति जैन

अध्यक्षयीय उद्बोधन में आयोग के अध्यक्ष श्री न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि शुद्ध वायु के अनेकों लाभ हैं। उन्होंने कहा कि एक शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण भारतीयों की उम्र नौ साल तक घट सकती है। इसका सबसे बुरा असर उत्तर भारत के लोगों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राणीमात्र के जीवन का आधार सिर्फ और सिर्फ वायु ही है। एक हालिया रिसर्च में यह दावा किया है कि वायु प्रदूषण बीमार करने के साथ-साथ इंसान की उम्र भी घटा रहा है। इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत के दूसरे हिस्सों में भी वायु प्रदूषण का बेहद बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्टॉकहोम में हुई सामान्य सभा में प्रस्ताव पारित कर सभी सदस्य देशों को अपने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने को कहा गया। तब भारतीय संसद ने जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के बाद वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पारित किया, जिसमें धारा 2 (अ) में वायु प्रदूषकों एवं धारा 2 (ब) में वायु प्रदूषण को परिभाषित कर, वायु प्रदूषण पर नियन्त्रण करने से संबंधित कानून बनाया। इस अधिनियम के प्रावधानों की सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर विस्तृत व्याख्या कर वायु प्रदूषण रोकने का प्रयास किया है, ताकि हर नागरिक को शुद्ध वायु मिल सके।

प्रदूषित वायु ले रही हर साल 7 लाख लोगों की जान

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुये अधिवक्ता सुशील कुमार जैन ने कहा कि सबके जीवन के लिये वायु की उपयोगिता जगजाहिर है। वायु का प्रदूषित होना कितना घातक हो सकता है, यह भोपाल में रहने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं। क्योंकि भोपाल ने एक भयानक गैस त्रासदी झेली है। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से पूरे विश्व में हर साल सात लाख लोग असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण रोकने के लिये उच्चतम न्यायालय की सक्रियता सराहनीय है। यही कारण है कि अब हर वर्ष 7 सितम्बर को इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एयर फॉर ब्लू स्काईस अर्थात नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या

कार्यक्रम के आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुये आयोग के सचिव शोभित जैन ने कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका स्तर साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें संपूर्ण जीवित प्रणाली के अस्तित्व की चिंता करनी होगी। क्योंकि वायु हमारे जीवन का प्राथमिक आधार है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 10 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 9 शहर भारत में ही हैं और यह खबर भारत के लिए बेहद गंभीर है कि हम रोज इतनी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं और साफ हवा में खुलकर सांस लेना महज एक स्वप्न बनकर रह गया है। सामाजिक सहयोग से वायु प्रदूषण को रोका जा सकता हैं और हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निमाज़्ण कर सकते हैं, जहां खुली हवा में सांस लेना हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर भारी न पड़े।

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