राज एक्सप्रेस। प्रदेश में आगामी निर्धारित तारीखों में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं जिसके लिए सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। प्रदेश सरकार ने कैबिनेट के फैसले के बाद जहां नगरपालिका अधिनियम में संशोधन के साथ यह फैसला किया था कि, महापौर और सभापति का चुनाव निर्वाचित पार्षद द्वारा ही कराया जाएगा तो वहीं इस नए नियम के तहत महापौर और नगरपालिका अध्यक्ष को वापस बुलाए जाने के नियम को भी समाप्त कर दिया है।
धारा 23 का किया विलोपन :
बता दें कि, पहले के अधिनियम के तहत किसी महापौर या नगरपालिका अध्यक्ष के द्वारा चुने गए दो तिहाई पार्षद इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं होते थे और खाली-भरी कुर्सी के नाम पर दोबारा चुनाव करवाने की मांग करते थे जिसके कारण प्रदेश में कुछ अध्यक्षों की कुर्सी भी चली गई। इसी नियम में बदलाव करते हुए सरकार ने इस प्रक्रिया में धारा 23 का विलोपन करते हुए जिम्मेदारी संभागायुक्त , कलेक्टर और राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी है।
कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नहीं होता विकास- मंत्री जयवर्धन सिंह
इस संबंध में प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा कि, नगर पालिका चुनाव की प्रक्रिया को लेकर संशोधन किया गया है महापौर से सीधे चुनकर आने वाले पार्षदों में कम समन्वय हो पाता था वहीं कई महत्वपूर्ण बिंदु पर विकास कार्य भी प्रभावित होते थे।
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