कमलनाथ सरकार केंद्र से अपने हिस्से की राशि लेने दिल्ली जाएगी
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच टकराव की स्थिति है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार, केंद्र सरकार पर भेदभाव के आरोप लगाती रही है। राज्य में कमलनाथ सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत मप्र के हिस्से का पैसा नही दिया है। जिससे कई योजनाओं के काम प्रभावित हो रहे हैं।
प्रदेश की कमलनाथ सरकार केंद्र से अपने हिस्से की राशि मांगने के लिए दिल्ली में डेरा डालेगी। मंत्री अलग-अलग विभागों के अधिकारियों और मंत्रियों से मिलकर मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि देने की मांग करेंगे। मंत्रियों के साथ विभाग अधिकारी भी रहेंगे।
प्रदेश सरकार की वित्तीय स्तिथि ठीक नहीं है। हर महीने सरकार को कर्ज उठाना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि आने वाले वित्तीय सत्र 1 अप्रैल से पहले अपने हिस्से की राशि केंद्र सरकार मांग ले।
इसी संबंध में मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा के बड़े नेता राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए हमेशा आगे रहते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश का पैसा अटका हुआ है उसे केंद्र से दिलवाने में आगे नही आते हैं। मप्र की राशि के संबंध में वह केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे।
मंत्री कमलेश्वर पटेल का कहना है कि, इस राशि के लिए केंद्र को पत्र लिखा जा चुका है। इस बार फिर केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर राशि उपलब्ध कराने की मांग की जाएगी।
प्रदेश सरकार का केंद्र में सरकार की नीतियों के तहत किसानों से गेहूं ख़रीदा, इसमें से 7 लाख मीट्रिक टन गेहूं का सेंट्रल पूल में उठाव कराने का मामला अभी तक अटका हुआ है। भावांतर योजना के एक हजार करोड़ रुपये अभी तक अटके हैं। इसी क्रम में केंद्र से फसल बीमा योजना की राशि मिलना बाकी है। ग्रामीण पेयजल परियोजना के करीब 500 करोड़ रुपए केंद्र सरकार से मिलना बाकी हैं।
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