राज एक्सप्रेस। सूरत से जयपुर के लिये निकले मजदूर 18 दिन से रेल पटरियों पर पैदल सफर के बाद पहुँचे खाचरौद रोटी की तलाश में हुआ खुलासा। अभी और करना है सफर मंजिल अभी दूर है। एक दिन में 35 से 40 किलोमीटर का पैदल सफर।
एक और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अन्य प्रदेशों में फंसे मध्यप्रदेश के मजदूरों को रेस्कयू कर उन्हें बसों से अपने घर आँगन ला रही है, वहीं दूसरी और गुजरात में फंसे 4 मजदूर पैदल यात्रा करने पर मजबूर हैं, जो 18 अप्रैल को सूरत से घर जयपुर की ओर निकले हैं जिन्होंने 13 दिन में 450 किलोमीटर के लगभग का पैदल सफर तय किया है।
4 मजदूर रोटी की तलाश में खाचरौद में घुसने लगे तो लोगों ने उन्हें जावरा रोड पटरी पर ही रोक दिया और प्रशासन को सूचना दी। सूचना पर नगर पालिका के कर्मचारी महेंद्र जोशी कालूराम नायक भी मौके पर पहुँचे जिन्होंने खाने-पीने का प्रबंध कर उन्हें पुनः घिनोदा बायपास के लिये लौटा दिया। जो मजदूर पैदल-पैदल ही सूरत से जयपुर का सफर तय करने को निकले उनसे हमारे संवाददाता ने चर्चा की तो उन्होंने बताया की सूरत से खाचरौद तक तो रेल पटरियों के सहारे आए रास्ते मे कोई तकलीफ नहीं आई अपनी मर्जी से आए हैं, यहाँ पहुँचे तो कोई आए थे जो हमसे स्वास्थ्य की जानकारी एकत्रित कर रहे थे, हमारे खाने का प्रबंध किया और हमें बोला कि आप यहाँ से पलट जाओ और बायपास से आप अपनी व्यवस्था देखकर आगे की यात्रा सुनिश्चित करो।
कोई बसों से पहुँच रहा है अपने घर तो कोई पैदल निकल पड़ा है कोई सरकार जिम्मेदार है तो कोई गैर जिम्मेदार, कोरोना संकट में फंसा मजदूर वर्ग दोहरी नीति का हुआ शिकार।
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