हाइलाइट्स :
सिविल कोर्ट में अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर सकते हैं याचिकाकर्ता।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ ने की है।
पंचनामा बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश।
MP High Court Indore : इंदौर, मध्यप्रदेश। स्थानीय प्रशासन और निकायों के द्वारा मकान तोड़ने पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि, उचित प्रक्रिया (नियम) का पालन किए बिना किसी भी घर को गिराना अब "फैशनेबल" हो गया है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ ने की। न्यायालय ने अपने फैसले में याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है। दरअसल उज्जैन नगर निगम द्वारा एक महिला का घर अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। स्थानीय प्रशासन के इस एक्शन के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद उज्जैन नगर निगम आयुक्त को उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिन्होंने पंचनामा बनाया था। याचिकाकर्ता सिविल कोर्ट के माध्यम से नुकसान के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर सकता है।
जस्टिस विवेक रूसिया ने आदेश में कहा, "जैसा कि इस अदालत ने बार-बार देखा है, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना कार्यवाही करके किसी भी घर को ध्वस्त करना और उसकी खबर मीडिया में प्रकाशित करना अब फैशन बन गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों में से एक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और विध्वंस गतिविधियों को अंजाम दिया गया था।”
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