विरासत और विश्वास से लबरेज मप्र नए वर्ष में गढ़ेगा नए प्रतिमान
विरासत और विश्वास से लबरेज मप्र नए वर्ष में गढ़ेगा नए प्रतिमानRaj Express

Madhya Pradesh : विरासत और विश्वास से लबरेज मप्र नए वर्ष में गढ़ेगा नए प्रतिमान

भोपाल, मध्यप्रदेश : वर्ष 2022 में मप्र ने ऐसी उपलब्धियां भी हासिल की, जो कि उसे नई पहचान दे गया। ये नई पहचान मप्र को नए वर्ष में और प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

भोपाल, मध्यप्रदेश। इसमें कोई शक नहीं है कि मप्र पल-प्रतिपल, दिन, माह और वर्ष दर वर्ष लगातार सफलता के नए सोपान हासिल कर रहा है, तो फिर इससे भला वर्ष 2022 कैसे अछूता हो सकता है। कोविड काल से उबरने के बाद देश के साथ मप्र ने भी उपलब्धियों की कुलांचें भरने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। वर्ष 2022 में मप्र ने ऐसी उपलब्धियां भी हासिल की, जो कि उसे नई पहचान दे गया। ये नई पहचान मप्र को नए वर्ष में और प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। नए वर्ष 2023 में समृद्ध विरासत और विश्वास से लबरेज मप्र नए प्रतिमान गढ़ने के लिए तैयार है।

मप्र अब विकासशील राज्य की छाया से लगभग बाहर आ गया है और अब उसकी गिनती देश के तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में होने लगी है। वर्ष 2020 और वर्ष 2021 लगभग दो वर्ष कोविड महामारी की छाया में ही गुजरे। उसके बाद वर्ष 2022 में मप्र के सामने विकास की नई चुनौती थी। लिहाजा मप्र ने आत्मनिर्भर मप्र का नया रोडमैप तैयार किया और उसे धरातल पर उतारने की कोशिशें शुरू कर दी, उसका परिणाम दिखने लगा है और वर्ष 2023 में तो कई उपलब्धियां गढऩे के लिए मप्र तैयार है, लेकिन अब बात करते हैं, वर्ष 2022 की बड़ी उपलब्धियों की, जिसने मप्र को नई पहचान दी है।

देश का सबसे भव्य महाकाल कॉरिडोर :

वर्ष 2022 में मप्र को नई पहचान दिलाने में महाकाल कॉरिडोर की बड़ी भूमिका रही है। 11 अक्टूबर का दिन मप्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिया गया, जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अब तक के सबसे भव्य महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण किया। पहले चरण में ही इस पर 700 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई है। महाकाल की पावन धरा तो पहले ही दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन अब कॉरिडोर के कारण यहां धार्मिक सैलानियों का जैसे सैलाब उमड़ने लगा है। प्रतिदिन यहां लगभग दो लाख श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। ये कॉरिडोर आने वाले दिनों में उज्जैन के साथ ही पूरे मालवा क्षेत्र की आर्थिक पहिए को गति देने में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

महाकाल कॉरिडोर
महाकाल कॉरिडोरSocial Media

चीता स्टेट का गौरव :

मप्र देश का एकमात्र राज्य है, जिसे चीता स्टेट का गौरव मिला है। वर्ष 1950 के दशक में देश से चीते विलुप्त हो गए थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने देश में चीतों को एक बार फिर प्रतिस्थापित करने का फैसला किया। इसके लिए मप्र के कूनो पालपुर का चयन किया गया। वैसे तो गिर के एशियाई सिंहों के लिए इसे पहले तैयार किया गया था, लेकिन जब गिर के सिंह नहीं आए तो फिर इस क्षेत्रों को अफ्रीकी चीतों के मुफीद बनाया गया। अक्टूबर में ही 8 चीतों का यहां प्रतिस्थापन किया गया। इसी के साथ मप्र देश का पहला चीता स्टेट बन गया। टाइगर स्टेट और लेपर्ड स्टेट का दर्जा तो पहले ही मिला था, अब एक और नया आयाम मप्र को हासिल हो गया।

चीता स्टेट का गौरव
चीता स्टेट का गौरवSocial Media

समरसता की मिसाल बना मप्र :

वर्ष 2022 में मप्र में त्रि-स्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव हुए। पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने समरस पंचायत बनाने का नवाचार किया। संभवत: यह देश में अपनी तरह का पहला नवाचार है। इसके माध्यम से पंचायत चुनावों में हिंसा को खत्म करना और लोगों के बीच चुनावी रंजिश और मनमुटाव की स्थिति बनने से रोकने की कोशिश की गई। इसके लिए जहां निर्विरोध निर्वाचन आपसी सहमति से होता, ऐसे पंचायतों को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई। मुख्यमंत्री की यह पहल रंग लाई। 780 से अधिक सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए। ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री ने सीएम हाउस में बाकायदा स्वागत किया और उन्हें पुरस्कृत भी किया। इस तरह समरसता के मामले में मप्र ने नई मिसाल कायम की। इधर निकाय चुनाव ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण के साथ कराने में भी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली।

पेसा एक्ट लागू कर आदिवासियों को दी नई ताकत :

मप्र के स्थापना दिवस एक नवंबर से प्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया गया। यह प्रदेश के आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार देने का अभिनव पहल है। अब आदिवासी क्षेत्रों में वहां की पंचायत की अनुमति के बिना सरकारी तंत्र भी दखल नहीं दे सकेगा। यदि खनन करना है या कोई निर्माण, तो पहले पंचायत की अनुमति लेना होगा। मप्र सरकार अब एक्ट को लेकर प्रदेश में जागरूकता फैलाने का अभियान शुरू कर चुकी है।

मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने वाला पहला राज्य :

मप्र ने देश के दूसरे राज्यों के लिए बड़ी नजीर पेश की है। मेडिकल की पढ़ाई अब तक अंग्रजी माध्यम से ही होती रही है, लेकिन मप्र ने अंग्रेजी के वर्चस्व को बड़ी चुनौती दी है। अब मप्र में मेडिकल की पढ़ाई भी हिन्दी में होने लगी है। इसके लिए बाकायदा पुस्तकें भी लांच कर दी गई है। मौजूदा सीजन से पढ़ाई का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही मप्र देश का पहला राज्य बन गया है, जहां मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में होने लगी है।

मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने वाला पहला राज्य
मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने वाला पहला राज्यSocial Media

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com