भांग से किया गया महाकाल का अलौकिक श्रृंगार
भांग से किया गया महाकाल का अलौकिक श्रृंगारRaj Express

Mahashivratri 2023: भांग से किया गया महाकाल का अलौकिक श्रृंगार, आज 44 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे बाबा

एमपी के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु बाबा महाकाल की एक झलक पाने को आतुर दिखाई दिए।

उज्जैन, मध्य प्रदेश। एमपी के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु बाबा महाकाल की एक झलक पाने को आतुर दिखाई दिए। आज अल सुबह भस्म आरती में बाबा का पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। बाबा महाकाल का आज भांग से अलौकिक श्रृंगार भी किया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत दिखाई दिए। आज दिनभर बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देंगे और अगले 44 घंटे तक मंदिर दर्शनार्थियों के लिए दरबार खुला रहेगा।

महाशिवरात्रि पर्व पर विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन शिव मय दिखाई दे रही है। महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल मंदिर में अल सुबह 3 बजे मंदिर की पट खोले गए। सबसे पहले भस्म आरती की गयी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को पण्डे पुजारियों ने जल चढ़ाया। इसके बाद पंचमृत अभिषेक पूजन में दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से अभिषेक किया गया। इस दौरान महाकाल का भांग से अदभुत श्रृंगार किया गया, भगवान महाकाल पर भस्म चढ़ायी गई।

राजधानी भोपाल से 45 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए रायसेन शहर की दुर्ग पहाड़ियों पर प्राचीन दुर्ग व सोमेश्वर धाम मंदिर स्थित है, जो 11वीं शताब्दी के आसपास में बनाया गया था। मंदिर में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। आजादी के बाद से ही मंदिर में ताला लगा हुआ है। लंबे समय से हिंदू समुदाय के लोगों की मांग रही है कि, उनके आराध्य महादेव को लोहे की सलाखों से बाहर निकाला जाए और भक्तों को महादेव के दर्शन कराए जाएं, लेकिन अभी तक भक्तों की मांग पूरी नहीं हो पाई है।

साल में एक ही बार खुलता है रायसेन सोमेश्वर धाम मंदिर:

बता दें कि, रायसेन जिले की दुर्ग पहाड़ियों पर स्थित सोमेश्वर धाम मंदिर महाशिरात्रि पर्व पर साल में एक ही बार ही खोला जाता है। यहाँ जेल में कैद भगवान शिव महाशिवरात्रि पर 1 दिन की पैरोल पर बाहर आते है, इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर में आज़ादी के बाद से ही ताला लगा हुआ है।

1974 में बनी संघर्ष समिति:

1974 में कृष्ण गोपाल महेश्वरी की अध्यक्षता में रायसेन दुर्ग मंदिर खोलो संघर्ष समिति का गठन हुआ था। इसमें डॉक्टर केशव दयाल कमाल रमाशंकर मिश्रा पंडित राधेश्याम वशिष्ट और अन्य वरिष्ठ जन थे, जिन्होंने कई राजनीतिक दलों के साथ राजसत्ता में विराजमान लोगों से भी संपर्क किया। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ,थे जिन्होंने शिवरात्रि के दिन 1 दिन के लिए भगवान शिव के मंदिर के ताले खोले जाने लगे तब से ही इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

धाम को कैद से मुक्त कराने कई बार की आवाज बुलंद:

आए दिन रायसेन जिले के साथ अन्य शहरों के लोग भी भगवान सोमेश्वर धाम को कैद से मुक्त कराने की आवाज बुलंद करते चले आए हैं। हाल ही में प्रसिद्ध शिव महापुराण कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भी रायसेन वासियों को धिक्कार शब्द कहते हुए, संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि तुम्हारा बाप कैद में है और तुम गुजा पुरी खा रहे हो। इसके बाद से ही भगवान सोमेश्वर धाम को आजाद कराने का मामला एक बार फिर तूल पकड़ गया था।

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