मध्यप्रदेश: किसानों को वापस मिलेंगी अनुपयोगी अधिग्रहित ज़मीनें

मध्यप्रदेश राज्य के किसानों को विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित की गई ज़मीनें, जिन पर विकासात्मक कार्य होने थे और नहीं हुए वो वापस मिलने जा रही हैं।
शहरी विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने बताया क्या है विधेयक में।
शहरी विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने बताया क्या है विधेयक में।सोशल मीडिया

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के किसानों को जल्द ही एक सौगात मिलने जा रही है। विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित ज़मीनें जिनका उपयोग राज्य सरकार नहीं कर पाई है, वो किसानों को वापस मिलेंगी। सरकार के मंत्रिमंडल ने बुधवार 11 दिसंबर 2019 को 'लैंड पूलिंग संशोधन विधेयक' पर मोहर लगा दी है और अब इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य के शहरी विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि, 'विकास प्राधिकरणों ने कई योजनाओं के लिए ज़मीन अधिग्रहण किया लेकिन कई ज़मीनों का उपयोग विकासात्मक कार्यों के लिए नहीं हुआ। ऐसी ज़मीनें जो बेकार पड़ी हैं वो किसानों को वापस कर दी जाएंगी।'

"84 योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहित की गईं लेकिन उनमें से 66 पर या तो कोई काम नहीं हुआ है या 10 प्रतिशत से भी कम काम हुआ है।"

जयवर्धन सिंह, शहरी विकास मंत्री (मध्यप्रदेश सरकार)

भोपाल और जबलपुर के लिए 14, इंदौर के लिए 19, ग्वालियर के लिए 12, उज्जैन के लिए 6, देवास के लिए 7 योजनाओं पर काम होना था लेकिन इनमें से 66 पर कोई काम नहीं हुआ है। शहरी विकास मंत्री ने यह भी बताया कि, जिन ज़मीनों पर 10 प्रतिशत काम हुआ है, उनके मालिक किसानों को 10 प्रतिशत का पैसा दिया जाएगा वहीं जिन ज़मीनों पर कोई काम नहीं हुआ, वे अभी भी खाली पड़ी हैं वे किसानों को वापस कर दी जाएंगी।

जयवर्धन सिंह ने जानकारी दी कि, इस संशोधन से पहले किसानों को अधिग्रहित ज़मीन के बदले 20 प्रतिशत ज़मीन का हिस्सा दिया जाता था। वहीं प्राधिकरण को 80 प्रतिशत ज़मीन दी जाती थी। किसानों को दी जाने वाली ज़मीन के हिस्से को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है।

अब अधिग्रहित 50 प्रतिशत ज़मीन का 20 प्रतिशत हिस्सा सड़क बनाने, 20 प्रतिशत रिहायशी और व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए, 5 प्रतिशत पार्क और खुली जगह के लिए एवं 5 प्रतिशत ज़मीन सामाजिक स्थल बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही 50 प्रतिशत हिस्सा ज़मीन के मालिक को वापस किया जाएगा।

पिछले 46 सालों में ज़मीन अधिग्रहण मामले में यह पहला संशोधन है।

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